क्या नोएडा में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 40 लाख ठगने वाला गिरोह बेनकाब हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगी से बचाव के लिए सतर्क रहें।
- किसी भी अज्ञात कॉल पर तुरंत विश्वास न करें।
- अपने बैंक खाते की जानकारी साझा न करें।
- संदिग्ध कॉल की सूचना पुलिस को दें।
- साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
नोएडा, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के बीच नोएडा पुलिस ने एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। थाना साइबर क्राइम पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करने वाले गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है।
आरोपी ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ग्रेटर नोएडा की एक महिला से जांच के नाम पर 40 लाख रुपये ट्रांसफर कराए थे। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मामले में लिप्त बैंक खातों को तुरंत फ्रीज किया और जांच को तेज़ किया।
जानकारी के अनुसार, 21 अगस्त को ग्रेटर नोएडा निवासी महिला ने थाना साइबर क्राइम में मामला दर्ज कराया था। पीड़िता ने बताया कि कुछ अज्ञात साइबर अपराधियों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिया और उसके खाते से लगभग 40 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की।
जांच के दौरान पुलिस ने 7 अक्टूबर को हरियाणा के पानीपत जिले से आरोपी राकेश पुत्र पवन कुमार (उम्र 29 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में राकेश ने बताया कि वह पानीपत में प्राइवेट नौकरी करता है और वहीं उसकी मुलाकात करन नामक व्यक्ति से हुई थी, जो साइबर अपराधों में सक्रिय है। दोनों ने मिलकर इस ठगी को अंजाम दिया था। अब तक वे 4,98,703 रुपये की राशि निकाल चुके हैं, जिसे दोनों ने आपस में कमीशन के रूप में बांट लिया था।
आरोपी राकेश साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाते उपलब्ध कराने का भी काम करता था। उसका साथी करन इस समय हरियाणा के करनाल जेल में बंद है। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से ठगी में इस्तेमाल एक मोबाइल फोन बरामद किया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। साइबर क्राइम पुलिस ने नागरिकों को जागरूक रहने की सलाह दी है और बताया है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा की गई व्हाट्सएप या वीडियो कॉल पर तुरंत विश्वास न करें, चाहे सामने वाला खुद को किसी सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी के रूप में पेश करे। कॉल में दी जा रही जानकारी को गूगल या संबंधित विभाग की वेबसाइट से सत्यापित करें। अगर कोई कॉल पार्सल, बैंक खाते, या कानूनी कार्यवाही के नाम पर डराने की कोशिश करे, तो घबराने के बजाय तुरंत नजदीकी थाने या साइबर सेल से संपर्क करें।
इसके अलावा, किसी भी व्यक्ति को अपने आधार या बैंक से संबंधित जानकारी साझा न करें। पुलिस ने कहा है कि ऐसे “डिजिटल अरेस्ट” के मामलों में साइबर ठग लोगों को डराकर उनके बैंक खातों से भारी रकम निकाल लेते हैं। नागरिक सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें।