क्या सपा सत्ता में आने पर 'बदले' की कार्रवाई नहीं करेगी? आजम खान का बयान
 
                                सारांश
Key Takeaways
- बदला नहीं, इंसाफ: आजम खान ने बताया कि उनका मजहब बदले की इजाजत नहीं देता।
- भविष्य की योजनाएं: सपा की सरकार बनने पर इंसाफ की बात की गई।
- राजनीतिक परिपक्वता: प्रतिशोध की भावना से दूर रहने का संदेश।
रामपुर, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। समाजवादी पार्टी का यह दावा है कि बदलाव आएगा और सरकार समाजवादी पार्टी के हाथों में होगी। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार के दौरान कई वर्षों तक जेल में बिताए हैं। यह सवाल उठता है कि अगर सपा की सरकार बनती है, तो क्या वर्तमान मुख्यमंत्री योगी पर भी कोई कार्रवाई होगी?
इस सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा कि मेरा मजहब मुझे इस तरह की कार्रवाई की इजाजत नहीं देता है।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि यह तो बदले की बात हो गई। हमारे साथ तो बिना बदले के हुआ है। यह सरकार नहीं जान सकती कि हमारी गलती क्या थी, सिवाय इसके कि हम सपा से जुड़े रहे थे, या मैं एक मुसलमान था। हमारे दमन पर कोई बेईमानी का दाग नहीं है।
आजम खान ने कहा कि 114 मुकदमे होने के बावजूद उनमें से कोई भी करप्शन या कमीशन का मामला नहीं है। अगर हम भी वही करें जो हमारे साथ हुआ है, तो हममें और उनमें क्या फर्क रह जाएगा? मेरा मजहब मुझे बदला लेने की इजाजत नहीं देता है।
जब उनसे पूछा गया कि अगर आपकी सरकार आई तो आंजनेय सिंह जैसे अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? उन्होंने कहा कि हम अभी की स्थिति पर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन हम किसी से बदला नहीं लेते। यदि हम भी वही करें जो उन्होंने किया, तो फिर हममें और उनमें क्या अंतर रहेगा? इसलिए हम बदला नहीं, बल्कि इंसाफ पर विश्वास रखते हैं, और वही करेंगे। लेकिन हम इंसाफ जरूर करेंगे।
जब उनसे पूछा गया कि अगर आपकी सरकार आई तो संभल और बरेली में हुई नाइंसाफी का क्या होगा? इस पर सपा नेता ने कहा कि जैसा मैंने पहले कहा, हम बदले की भावना से काम नहीं करते हैं। हां, हम इंसाफ करेंगे।
पूर्व विधायक राघवेंद्र सिंह के एक बयान पर सपा नेता ने कहा कि ऐसी बातों पर चुप रहना ही बेहतर होता है। फारसी में एक कहावत है कि जाहिल का जवाब देने से अच्छा है कि चुप रहना चाहिए, क्योंकि अगर हम किसी बेहूदी बात पर प्रतिक्रिया देते हैं, तो हम उसका प्रोपेगैंडा बढ़ा देते हैं। जो घटिया सोच वाले लोग होते हैं, वे यही चाहते हैं कि उनकी नीची बातों पर प्रतिक्रिया मिले। वह मुद्दा बहस का बन जाता है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                            