क्या अखिलेश यादव का पीडीए फर्जी है? ओपी राजभर का बयान

सारांश
Key Takeaways
- ओपी राजभर ने अखिलेश यादव के पीडीए को फर्जी बताया।
- सपा ने पीडीए समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन किया।
- राजभर ने वोट बैंक की राजनीति पर सवाल उठाया।
- बिहार में एनडीए की संभावित जीत का संकेत दिया।
- सपा की वोटर अधिकार यात्रा पर संदेह जताया।
लखनऊ, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओपी राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव के 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारे और उनके नवीनतम सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने अखिलेश के पीडीए को फर्जी बताते हुए कहा कि सपा ने अपने शासन के दौरान पीडीए समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन किया है।
राजभर ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि सपा ने यादवों को प्राथमिकता दी और अन्य पिछड़े वर्ग, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों के हक को नजरअंदाज किया।
उन्होंने यह भी कहा कि सपा का पीडीए केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए है, और जब बात सत्ता या संगठन में हिस्सेदारी की आती है, तो सपा मात्र अपने परिवार को प्राथमिकता देती है।
राजभर ने यह भी उल्लेख किया कि हाल में सदन में पूजा पाल ने अपने पति के हत्यारों के खिलाफ योगी सरकार की न्याय दिलाने की प्रशंसा की थी, जिसके चलते उन्हें सपा से निष्कासित कर दिया गया। अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि यह कैसी पीडीए की विचारधारा है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इसका कोई असर नहीं होने वाला। बिहार की जनता ने ठान लिया है कि एक बार फिर एनडीए की सरकार बनानी है। विपक्षी दलों की हार निश्चित है।
उन्होंने कांग्रेस को मत चुराने वाली पार्टी बताया और कहा कि 1952 में बाबा साहेब अंबेडकर के साथ मत चोरी की गई। वाराणसी में मत पेटी को गंगा में फेंका गया। रामपुर में चुनाव हारने पर मुख्यमंत्री को चेतावनी दी गई कि यह सीट किसी भी कीमत पर चाहिए। अखिलेश यादव उनके साथ वोटर अधिकार यात्रा करेंगे, जबकि पहले मध्यप्रदेश चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया था।
कोर्ट से अब्बास अंसारी को राहत मिलने पर उन्होंने कहा कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।
लोकसभा में तीन बिल पेश होने के समय विपक्ष के हंगामे पर उन्होंने कहा कि विपक्ष को आपत्ति है क्योंकि उनके कई नेता जेल में रहकर सरकार चला चुके हैं। उन्हें डर है कि इन बिलों के पास होने से वे भविष्य में ऐसा नहीं कर पाएंगे।
राजभर ने शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी करने के फैसले को स्वागत योग्य बताया, क्योंकि यह सोच-समझकर लिया गया है और सभी को इसकी सराहना करनी चाहिए।