क्या सरकार का इरादा गरीबों को मतदान का अधिकार छीनना है? एसआईआर मुद्दे पर विपक्ष का हमला

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क्या सरकार का इरादा गरीबों को मतदान का अधिकार छीनना है? एसआईआर मुद्दे पर विपक्ष का हमला

सारांश

दिल्ली में विपक्षी दलों ने सरकार के एसआईआर निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों को मतदान का अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है। क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा है?

Key Takeaways

  • एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतित रखना है।
  • विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार गरीबों को मतदान से वंचित कर रही है।
  • यह प्रक्रिया 2003 में भी हुई थी।
  • लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
  • सरकार और विपक्ष के बीच यह विवाद राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।

नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार मुद्दे पर अब तक सीमित राजनीति के बीच, भारतीय निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) की घोषणा की है। इस निर्णय से देश की राजनीति में गर्माहट आ गई है। शुक्रवार को दिल्ली में विपक्षी दलों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और एसआईआर के पोस्टर फाड़कर प्रतीकात्मक डस्टबीन में डाल दिए।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा गरीबों को मतदान के अधिकार से हटा कर इसे केवल अभिजात वर्ग तक सीमित करना है।

उन्होंने कहा, "जब 'वयस्क मताधिकार' देश में लागू हुआ तो जवाहर लाल नेहरू और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसे आवश्यक बताया, क्योंकि देश में शिक्षित लोगों की संख्या कम है। गरीबों के पास रोजगार नहीं है। इसलिए चाहे सफाईकर्मी हों या अरबपति, सभी को समान मताधिकार मिलना चाहिए।"

मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा, "डर के मारे सरकार इन अधिकारों में संशोधन करने का प्रयास कर रही है, जो लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाता है और संविधान के खिलाफ है।" उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताया।

समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि हम गांधीवादी दर्शन का पालन करते हैं, इसलिए हम शांति से सरकार से लोकतंत्र की हत्या रोकने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारा आग्रह है कि लोकतंत्र की हत्या करना बंद करें।"

टीएमसी सांसद सयानी घोष ने भी एसआईआर का विरोध किया। समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि भारत सरकार में सहानुभूति की कमी है। 62 लाख लोगों को मतदाता सूची से निकाला गया है, और यह नहीं हो सकता कि यह सभी अवैध प्रवासी या बांग्लादेशी हैं।"

सयानी घोष ने आरोप लगाया कि बिहार और पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार इन राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि हम इसके खिलाफ हैं और हमारी नेता (ममता बनर्जी) ने कहा है कि हम इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। यह एक आंदोलन का रूप लेगा।

विपक्ष के इन आरोपों पर जेडीयू के सांसद संजय झा ने उत्तर दिया। उन्होंने कहा, "एसआईआर प्रक्रिया बिहार में पहली बार नहीं हो रही है। 2003 में भी एसआईआर का काम हुआ था। उस समय भी एक ही महीने का समय था।" उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया जाता है। यह चुनाव आयोग का कार्य है।

संजय झा ने सवाल किया, "चुनाव आयोग के अनुसार 21 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है, क्या विपक्ष चाहता है कि मृत लोग वोट डालें? जो 26 लाख लोग बिहार से बाहर जा चुके हैं, क्या विपक्षी दल उनका दो जगह वोट डालना चाहते हैं?"

उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि बिहार में लोकसभा में हारने के बाद विपक्ष को पता है कि विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा। वे 'संविधान खतरे में है' का हल्ला मचा रहे हैं।"

Point of View

मेरा मानना है कि लोकतंत्र की नींव हर नागरिक के मताधिकार पर टिकी है। एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य सभी को समान अवसर प्रदान करना होना चाहिए, और किसी भी वर्ग को हाशिये पर नहीं डाला जाना चाहिए।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) एक प्रक्रिया है जिसके तहत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अपडेट करता है।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि सभी योग्य मतदाता सही रूप से सूचीबद्ध हों।
विपक्ष का इस पर क्या कहना है?
विपक्ष का कहना है कि सरकार का इरादा गरीबों को मतदान से वंचित करना है।
क्या यह प्रक्रिया पहले भी हुई है?
हाँ, एसआईआर प्रक्रिया पहले भी चुनावों के दौरान होती रही है।
सरकार का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया सभी मतदाताओं के लिए आवश्यक है।