क्या कृष्णमाचारी श्रीकांत भारतीय क्रिकेट के 'इंडियाना जोन्स' हैं?
सारांश
Key Takeaways
- कृष्णमाचारी श्रीकांत का जन्म 21 दिसंबर 1959 को हुआ।
- उन्होंने 1983 के विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा बने।
- उनकी बल्लेबाजी शैली विस्फोटक थी।
- उन्होंने एक कप्तान के रूप में 4 टेस्ट मैच खेले।
- उन्हें 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कृष्णमाचारी श्रीकांत अपने समय में भारतीय क्रिकेट के 'इंडियाना जोन्स' के रूप में जाने जाते थे। 1983 के विश्व कप विजेता दल के सदस्य श्रीकांत ने एक सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी बल्लेबाजी शैली बेहद विस्फोटक थी, जिससे दर्शकों में हमेशा उच्च उम्मीदें बनी रहती थीं।
21 दिसंबर 1959 को मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मे श्रीकांत के पास महान रिफ्लेक्सिस थे, और उन्होंने मात्र 21 वर्ष की आयु में चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने नवंबर 1981 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और लगभग डेढ़ वर्ष बाद ही 1983 के विश्व कप की विजेता टीम का हिस्सा बने। उन्होंने 1987 और 1992 में भी विश्व कप में खेला। हालाँकि उन्हें टीम में बार-बार स्थान दिया गया और हटाया गया, लेकिन 80 के दशक के मध्य तक उन्होंने चयनकर्ताओं का विश्वास जीत लिया।
'चीका' के नाम से प्रसिद्ध श्रीकांत की तुलना मुश्ताक अली से की जाती थी, जो बेखौफ पुलिंग, हुकिंग और ड्राइविंग में माहिर थे और दुनिया की सबसे मजबूत गेंदबाजी को ध्वस्त करने की क्षमता रखते थे।
1989 में श्रीकांत को भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी सौंपी गई। उन्होंने पाकिस्तान दौरे पर टेस्ट और वनडे टीम की कप्तानी की।
एक कप्तान के रूप में श्रीकांत ने 4 टेस्ट मैच खेले, जो सभी ड्रॉ रहे। वहीं, 13 वनडे में से उन्होंने 4 मैच जीते। पाकिस्तान दौरे पर बल्लेबाज के रूप में उन्हें निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें लगभग 2 साल तक टेस्ट टीम में नहीं खेलना पड़ा। दिसंबर 1991 में जब उन्होंने वापसी की, तो उम्र की वजह से उनके रिफ्लेक्स पहले जैसे नहीं रह गए। 1993 में उन्हें दक्षिण क्षेत्र की टीम में चयनित नहीं किया गया, जिसके बाद 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी।
श्रीकांत ने भारत के लिए 43 वनडे में 29.88 की औसत से 2,062 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 12 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, 146 वनडे मुकाबलों में उन्होंने 4 शतकों और 27 अर्धशतकों के साथ 4,091 रन बनाये।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में, उन्होंने 134 मैचों में 12 शतकों के साथ 7,349 रन बनाए, जबकि 184 लिस्ट-ए मुकाबलों में 29.26 की औसत से 5,209 रन जुटाए। इस दौरान उन्होंने 5 शतक और 32 अर्धशतक भी लगाए। श्रीकांत ने जरूरत पड़ने पर अपनी राइट आर्म ऑफब्रेक गेंदबाजी से कुछ विकेट भी लिए।
रिटायरमेंट के बाद श्रीकांत क्रिकेट विश्लेषक के रूप में सक्रिय रहे। वह चयन समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें 2019 में 'सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया।