क्या 'एसआईआर' इस समय देश का सबसे बड़ा मुद्दा है? इमरान मसूद
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर लोकतंत्र की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
- इमरान मसूद ने इसे सबसे बड़ा मुद्दा बताया है।
- विपक्ष ने सरकार पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया है।
- तृणमूल कांग्रेस ने इसे मानवीय त्रासदी बताया है।
- सभी पक्षों को मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को हुई। विपक्षी सांसदों ने सरकार पर मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे से भागने का आरोप लगाया है। इस बीच, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एसआईआर को देश का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा करार दिया।
इमरान मसूद ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "एसआईआर का मुद्दा वर्तमान में देश का सबसे बड़ा मुद्दा है। पिछला सत्र भी इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित था। हम चाहते हैं कि सरकार इस पर खुलकर चर्चा करे। आपने चुनाव आयोग को मनमानी करने की अनुमति दी है, उसकी मनमानी पर रोक लगानी चाहिए। इसके बाद लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा?"
इमरान मसूद ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के सुप्रीम कोर्ट पर हाल के बयान को गंभीरता से लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "हालात को देखिए। मदनी साहब के शब्दों की गंभीरता को समझिए, वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं; वह एक प्रतिष्ठित धार्मिक नेता हैं, और उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।"
एसआईआर मुद्दे पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "लोकतंत्र को बचाने के लिए, यदि मतदाता सूची में कोई गड़बड़ी है या धोखाधड़ी हो रही है तो इस पर चर्चा होनी चाहिए। हम यह सवाल उठा रहे हैं और डेमोक्रेटिक उत्तर की अपेक्षा कर रहे हैं।"
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर के दबाव में बीएलओ की मौत का दावा किया। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा, "जो हो रहा है वह एक मानवीय आपदा है। बंगाल में कम से कम 40 लोगों की जान गई है। बहुत से अन्य लोग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह एक मानवीय त्रासदी है। चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं। जब 40 लोग मरते हैं, तो संसद चुप नहीं रह सकती। विपक्ष पूरी चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा की मांग कर रहा है।"