क्या एसआईआर देश के लिए आवश्यक है? ममता बनर्जी जनता को भ्रमित न करें: तरुण चुघ
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।
- ममता बनर्जी का विरोध केवल भ्रम है।
- बिहार की जनता विकास चाहती है, जो केवल एनडीए दे सकती है।
- राहुल गांधी का बयान सही नहीं है।
- चुनाव आयोग ने सभी प्रक्रियाओं को स्पष्ट किया है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर के मुद्दे पर राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं। एनडीए इसे अनिवार्य मानती है, जबकि महागठबंधन के नेता इसे जनता के साथ धोखा करार दे रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा है कि देश के लिए एसआईआर अत्यंत आवश्यक है।
तरुण चुघ ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "एसआईआर मतदान सूची को शुद्ध और अद्यतन करने के लिए एक पूरी तरह से संवैधानिक और पारदर्शी प्रक्रिया है। यह बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि चुनावों में लोग फर्जी वोटिंग न कर सकें और किसी भी पार्टी को अनुचित लाभ न मिल सके।"
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए तरुण चुघ ने कहा कि ममता बनर्जी का एसआईआर के प्रति विरोध केवल भ्रम और भय की राजनीति है। पश्चिम बंगाल की जनता अब समझ चुकी है कि ममता बनर्जी का असली डर पारदर्शिता और जवाबदेही है। एसआईआर लागू होगा, क्योंकि यह संविधान की मर्यादा, लोकतंत्र की आवश्यकता और जनता की इच्छाओं का सम्मान करता है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 12 पहचान पत्र मांगे हैं, जिसमें आधार कार्ड भी शामिल है। 9 सितंबर को चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड भी एक मान्य दस्तावेज है। अब ममता बनर्जी जनता को भ्रमित न करें, चुनाव आयोग ने सभी बातें स्पष्ट कर दी हैं।
बिहार चुनाव में महागठबंधन के एजेंडे पर टिप्पणी करते हुए तरुण चुघ ने कहा कि महागठबंधन केवल वंशवाद का प्रतिनिधित्व करता है। इनके पास विकास के लिए कुछ भी नहीं है। इनकी पहचान सिर्फ रंगदारी, जंगलराज और दादागिरी है। बिहार की जनता इनको हटाने वाली है।
बिहार में इनकी सरकार बनाना अब संभव नहीं है, यह इनको भी समझ आ गया है। बिहार की जनता फिर से एनडीए को सत्ता में लाने का मन बना चुकी है, क्योंकि उन्हें विकास चाहिए, जो केवल एनडीए की सरकार ही दे सकती है।
राहुल गांधी के उस बयान पर कि 'देश की सेना और बड़े संस्थान केवल 10 प्रतिशत आबादी के नियंत्रण में हैं', तरुण चुघ ने कहा कि यह राहुल गांधी की बंटवारे की सोच है। भारत के वीर सैनिकों पर ऐसा आरोप लगाना उचित नहीं है। राहुल गांधी स्वयं नहीं जानते कि वे क्या बोलते हैं और क्या सोचते हैं।