क्या सुबोधकांत सहाय का सवाल है- सिर्फ आरोप लगाने के लिए हलफनामा दाखिल करना पड़ा है?

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- सुबोधकांत सहाय ने लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए आवाज उठाई है।
- राजनीतिक विवादों में पारदर्शिता जरूरी है।
रांची, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से आरोपों पर शपथ पत्र की मांग की है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि क्या इस देश में कभी किसी को सिर्फ आरोप लगाने के लिए हलफनामा दाखिल करना पड़ा है?
सुबोधकांत सहाय ने कहा कि संसद में जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं, क्या अब आप उन मुद्दों के लिए हलफनामा मांग रहे हैं? आखिर आप क्या मांग रहे हैं? ये सवाल संसद में उठ रहे हैं और आप जवाब में हलफनामा मांग रहे हैं? आप संविधान से ऊपर नहीं हैं। आपकी स्थापना एक स्वतंत्र संस्था के रूप में पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ चुनाव कराने के लिए हुई थी।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि यह पीएम मोदी का अगले चुनाव की रूपरेखा होने वाली है, उसका हम लोग ट्रायल या कहें कि ट्रेलर देख रहे हैं। केंद्र सरकार तानाशाह प्रवृत्ति की है, इसमें अब कहीं कोई दो राय नहीं रही। 'वोट काटो' का सिलसिला अभी अनवरत चलने वाला है। यह बड़ी सोची-समझी राजनीति है। 'वोट चोरी' और 'वोट काटना', दोनों चीजें एक साथ चल रही हैं।
सुबोधकांत सहाय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगातार आरोप लगाने को लेकर कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने जो सवाल उठाए थे, आयोग ने स्वीकार किया कि 40 लाख से अधिक वोट पड़े हैं। महाराष्ट्र का चुनाव भाजपा को जीतना था, जीत गए। सारे लोगों के रिजल्ट उलट गए, इसलिए मैं समझता हूं कि राहुल गांधी जो मुद्दा लेकर चले हैं, पुख्ता चीजों को साथ लेकर चले हैं। इससे जुड़ा एक सवाल एसआईआर का है, वहां से भी वोट काटे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग केंद्रीकृत व्यवस्था के तहत काम करता है, जिसमें कोई पारदर्शिता नहीं रही। राहुल गांधी ने जो सवाल संसद में उठाए हैं, बिहार विधानसभा में जो सवाल उठा है और चुनाव आयोग का जो जवाब आया कि क्या मुर्दों को भी वोट डालने दें, यह 'सड़क छाप' जवाब है। जो घटनाक्रम लगातार हो रहे हैं, उन सब सवालों को लेकर देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए यह लड़ाई राहुल गांधी ने शुरू की है।