क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ आना विकास के लिए फायदेमंद होगा? : वारिस पठान

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एक साथ आना विकास के लिए अनिवार्य है।
- भ्रष्टाचार और भाषाई मुद्दों पर चर्चा आवश्यक है।
- हिंदी को तीसरी भाषा बनाना एक विवादास्पद निर्णय है।
मुंबई, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा है कि यदि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आते हैं, तो उन्हें विकास के मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में वारिस पठान ने कहा, "यदि ठाकरे परिवार एकजुट हो जाता है, तो मुझे इसमें कोई समस्या नहीं है। वे पहले भी एक साथ थे। मुंबई में कॉरपोरेशन के चुनाव 7 साल बाद होने जा रहे हैं, इसलिए उनके एक साथ आने की बातें हो रही हैं। अगर वे साथ आते हैं, तो बीएमसी में बढ़ते भ्रष्टाचार, मुंबई की सड़कों पर बढ़ते गड्ढों और पानी के मुद्दे पर चर्चा करें।"
महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के सरकारी आदेश का राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने विरोध किया है। इस पर वारिस पठान ने कहा कि महाराष्ट्र में भाषा का मुद्दा तो है, लेकिन हम किसी पर किसी भाषा को सीखने या बोलने का दबाव नहीं बना सकते। हिंदी एक प्यारी भाषा है और इसे बोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें मराठी और अंग्रेजी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाना अनिवार्य किया गया है।
इस सरकारी आदेश का शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने विरोध किया। राज ठाकरे ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ जन आंदोलन का ऐलान किया है, जिसमें उद्धव ठाकरे ने पूर्ण समर्थन देने का निर्णय लिया है।
उद्धव ठाकरे ने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के आदेश को भाषाई आपातकाल कहा है और महाराष्ट्र के हर वर्ग से अपील की है कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हों।