क्या वाराणसी के लोग कुंभकोणम का पान खाते हैं?

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क्या वाराणसी के लोग कुंभकोणम का पान खाते हैं?

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने कोयंबटूर में किसानों से संवाद किया और प्राकृतिक खेती में तमिलनाडु की भूमिका की सराहना की। उन्होंने उत्पादों की विविधता को देखकर किसानों के नवाचार की प्रशंसा की। क्या वाराणसी के लोग कुंभकोणम का पान खाते हैं? जानें इस रोचक बातचीत के बारे में।

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती की प्रगति की सराहना की।
  • तमिलनाडु में सैकड़ों पारंपरिक धान की किस्में संरक्षित हैं।
  • किसानों ने अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करने की क्षमता दिखाई।
  • युवाओं का खेती में जुड़ना एक सकारात्मक संकेत है।
  • किसानों ने जैविक उत्पादों की गुणवत्ता पर जोर दिया।

कोयंबटूर, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयंबटूर में आयोजित दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन में किसानों के साथ एक संवाद का वीडियो गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर साझा किया। इस सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केले के अवशेषों से बने बर्तन, कपड़े, मोरिंगा पाउडर, पारंपरिक चावल की अनेक किस्में, सफेद चाय, जीआई टैग वाले पान के पत्ते और शहद जैसे उत्पादों को देखकर गहरी रुचि दिखाई।

उन्होंने किसानों के नवाचार, बाजार की पहुंच और युवाओं की भागीदारी की सराहना की।

तमिलनाडु के कोयंबटूर में बुधवार को आयोजित इस सम्मेलन में प्राकृतिक खेती कर रहे सैकड़ों किसानों से मोदी ने बातचीत की। सबसे पहले वह केले की खेती करने वाले किसानों के स्टॉल पर पहुंचे। वहां उन्होंने पूछा, “क्या ये उत्पाद पूरे भारत में ऑनलाइन उपलब्ध हैं?”

किसान ने पुष्टि की और बताया कि उनके उत्पादक संगठन में लगभग एक हजार किसान शामिल हैं। ये उत्पाद न केवल तमिलनाडु में, बल्कि पूरे देश के सुपरमार्केटों में और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी निर्यात होते हैं।

इसके बाद, प्रधानमंत्री ने नीलगिरि की प्रसिद्ध चाय के स्टॉल पर जाकर सफेद चाय, हरी चाय, काली चाय और ऊलोंग चाय के बारे में जानकारी ली। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “आजकल सफेद चाय का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।” किसान ने सहमति जताई।

मोरिंगा के स्टॉल पर, प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या इसकी पत्तियों का पाउडर निर्यात होता है? किसान ने बताया कि इसकी मांग बहुत अधिक है और इसे बड़े पैमाने पर विदेश भेजा जा रहा है।

तमिलनाडु के पारंपरिक धान और जीआई उत्पादों के स्टॉल पर किसानों ने बताया कि राज्य में लगभग एक हजार पारंपरिक धान की किस्में संरक्षित हैं, जिनका पोषण मूल्य मोटे अनाज जितना ही है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “धान के क्षेत्र में तमिलनाडु ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह विश्व में कहीं और नहीं हुईं।” कुंभकोणम के पान के पत्ते और मदुरै की मोगरा चमेली देखकर उन्होंने हल्के अंदाज में पूछा, “क्या वाराणसी के लोग भी पान खाते हैं?” किसानों ने हंसते हुए कहा, “जी हां, ये पूरे देश में लोकप्रिय हैं।”

एक युवा किसान ने बताया कि उन्होंने प्राकृतिक खेती से हर माह दो लाख रुपए तक की कमाई शुरू की है और अपने फार्म पर 7,000 किसानों और 3,000 कॉलेज छात्रों को प्रशिक्षण दिया है। वे सीधे विदेशों में हेयर ऑयल, नारियल तेल और साबुन का निर्यात करते हैं। प्रधानमंत्री ने खुशी जाहिर की कि अब पीएचडी करने वाले युवा भी खेती की ओर आ रहे हैं।

मवेशी पालन पर चर्चा करते हुए मोदी ने गुजरात के अपने पुराने प्रयोग का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हमने गांव में सभी गायों को एक जगह रखने का ‘गोशाला हॉस्टल’ शुरू किया था। इससे गांव साफ रहता है और गोबर से जीवामृत बनाकर किसानों में बांटा जाता है।” तमिलनाडु के किसान भी इसी तरह जैविक खाद का उत्पादन कर रहे हैं।

इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने सभी किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती ही भविष्य है और तमिलनाडु इस दिशा में पूरे देश को राह दिखा रहा है।

Point of View

बल्कि वे निर्यात के माध्यम से वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। यह भारत के कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम है।
NationPress
20/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या मोदी जी ने किसानों के उत्पादों की सराहना की?
हाँ, मोदी जी ने किसानों के उत्पादों जैसे केले के अवशेषों से बने बर्तन और सफेद चाय की प्रशंसा की।
क्या प्राकृतिक खेती में तमिलनाडु की कोई विशेषता है?
हाँ, तमिलनाडु में प्राकृतिक खेती के तहत अनेक पारंपरिक धान की किस्में संरक्षित की गई हैं।
क्या वाराणसी के लोग कुंभकोणम का पान खाते हैं?
जी हाँ, वाराणसी के लोग कुंभकोणम का पान खाते हैं, यह पूरे देश में प्रसिद्ध है।
क्या युवा किसान भी खेती में रुचि दिखा रहे हैं?
हाँ, अब पीएचडी करने वाले युवा भी खेती की ओर आ रहे हैं और इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
क्या मोदी जी ने मवेशी पालन के बारे में कुछ कहा?
हाँ, मोदी जी ने गुजरात में गोशाला हॉस्टल की सफलता का जिक्र किया और तमिलनाडु के किसानों की जैविक खाद बनाने के प्रयासों की सराहना की।
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