क्या वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन बढ़ाई जाएगी? सांसद डॉ. जावेद ने किरेन रिजिजू को लिखा पत्र
सारांश
Key Takeaways
- वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण की डेडलाइन बढ़ाने की आवश्यकता है।
- लाखों मुतवल्लियों को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
- सरकार को उम्मीद पोर्टल की तकनीकी खामियों को सुधारना चाहिए।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सामुदायिक धरोहर का हिस्सा है।
किशनगंज, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा सदस्य डॉ. मोहम्मद जावेद ने देशभर की वक्फ संपत्तियों से संबंधित मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने 'उम्मीद' पोर्टल पर पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया है।
सांसद डॉ. जावेद ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि 5 दिसंबर 2025 की निर्धारित डेडलाइन में अब केवल चार दिन बचे हैं, लेकिन पूरे देश की अधिकांश वक्फ संपत्तियां अभी तक पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हुई हैं। लाखों मुतवल्लियों को तकनीकी समस्याओं, सर्वर क्रैश और पुराने दस्तावेज अपलोड करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे कस्बों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले अधिकांश मुतवल्ली अभी भी पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं। डॉ. जावेद ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अंतिम तिथि पार हो गई, तो हजारों मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों और दरगाहों का वक्फ दर्जा हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है। यह स्थिति समुदाय के लिए अत्यंत चिंताजनक और हानिकारक होगी।
सांसद डॉ. जावेद ने केंद्र सरकार से निवेदन किया है कि 'उम्मीद' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन कम से कम छह महीने के लिए बढ़ाई जाए ताकि सभी वक्फ संपत्तियों को सुचारू रूप से शामिल किया जा सके। साथ ही उन्होंने मंत्रालय से पोर्टल की सभी तकनीकी खामियों को सुधारने, सर्वर की क्षमता को बढ़ाने और अपलोडिंग प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की है।
उन्होंने एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की भी आवश्यकता बताई। डॉ. जावेद ने कहा कि देशभर में जिला स्तर पर हेल्प सेंटर, हेल्पलाइन नंबर और स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शन का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि किसी भी धार्मिक स्थल को प्रशासनिक या तकनीकी कारणों से वक्फ सूची से वंचित न होना पड़े।
उन्होंने पत्र में स्पष्ट किया कि यह विषय किसी राजनीतिक बहस का नहीं, बल्कि समुदाय की धार्मिक और सामाजिक धरोहरों की सुरक्षा का है। इसलिए सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए पोर्टल को सुधारना चाहिए और अंतिम तिथि को बढ़ाना चाहिए।
अंत में सांसद जावेद ने आशा जताई कि सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगी ताकि देश की ऐतिहासिक और धार्मिक वक्फ संपत्तियों को संरक्षित रखा जा सके।