क्या लातेहार में पांच लाख के इनामी नक्सली लवलेश गंझू ने आत्मसमर्पण किया?

सारांश
Key Takeaways
- लवलेश गंझू का आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की सफलता का प्रतीक है।
- नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पर सरकारी सुविधाएं मिलेंगी।
- पुलिस की कार्रवाई ने नक्सलियों को भागने पर मजबूर किया है।
लातेहार, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) का पांच लाख रुपए का इनामी कमांडर लवलेश गंझू ने मंगलवार को लातेहार पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस अवसर पर पलामू जोनल आईजी सुनील भास्कर, एसपी कुमार गौरव और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
लवलेश के खिलाफ लातेहार एवं उसके आस-पास कई गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं। वह कई बार पुलिस से बचने में सफल रहा, लेकिन लगातार पुलिस की छापेमारी और अभियानों ने उसे घेर लिया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लवलेश ने दूसरों के नाम पर एक वाहन खरीदा था, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों और संगठन की कमजोर स्थिति के चलते वह अंततः आत्मसमर्पण करने को मजबूर हुआ।
इससे पहले 18 जून को जेजेएमपी के एरिया कमांडर बैजनाथ सिंह ने भी डीआईजी नौशाद आलम, एसपी कुमार गौरव और कमांडेंट राकेश कुमार की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया था। बैजनाथ सिंह मनिका थाना क्षेत्र के शैलदाग गांव के निवासी हैं और कई वर्षों से नक्सली गतिविधियों में शामिल रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने जेजेएमपी के कई शीर्ष नक्सली कमांडरों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया है।
संगठन के प्रमुख पप्पू लोहरा दो महीने पहले एक मुठभेड़ में मारे गए थे। उसके बाद लवलेश गंझू ही संगठन का आखिरी बड़ा नक्सली बचा था। पुलिस की सख्त कार्रवाई और दबाव के कारण, वह अब संगठन से अलग होकर भागते-फिरते अंततः आत्मसमर्पण करने को विवश हो गया।
इससे पहले अप्रैल में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला के रहने वाले नक्सली अमरजीत बृजिया और मिथलेश कोरबा ने भी लातेहार जिला पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें कानून के तहत सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, यह चेतावनी भी दी गई है कि जो हथियार छोड़कर वापस नहीं लौटेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।