क्या सीबीआई ने लखनऊ में यूएस नागरिकों को निशाना बनाने वाले गैर-कानूनी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया?

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क्या सीबीआई ने लखनऊ में यूएस नागरिकों को निशाना बनाने वाले गैर-कानूनी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया?

सारांश

क्या सीबीआई ने लखनऊ में अमेरिका के नागरिकों को ठगने वाले एक गैर-कानूनी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया? जानिए इस साइबर क्राइम रैकेट के बारे में।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने लखनऊ में साइबर ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया।
  • विकास कुमार निमार को गिरफ्तार किया गया है।
  • गैर-कानूनी कॉल सेंटर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाता था।
  • सीबीआई ने महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं।
  • साइबर अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

लखनऊ, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक ट्रांसनेशनल साइबर-क्राइम नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई करते हुए इसके मुख्य फरार ऑपरेटिव विकास कुमार निमार को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने लखनऊ में आरोपी द्वारा संचालित एक गैर-कानूनी कॉल सेंटर का भी भंडाफोड़ किया है, जो अमेरिका के नागरिकों को टारगेट कर साइबर ठगी में लिप्त था।

सीबीआई ने इस मामले में २४ सितंबर २०२४ को केस दर्ज किया था, उसके बाद उसी महीने पुणे, हैदराबाद और विशाखापत्तनम में आरोपियों से जुड़े कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान चार गैर-कानूनी कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ किया गया था। ये सेंटर अमेरिकी नागरिकों को धोखा देकर करोड़ों रुपए का साइबर फ्रॉड कर रहे थे।

मुख्य ऑपरेटिव विकास कुमार निमार पर इन कॉल सेंटरों, विशेषकर वीसी इंफ्रोमेट्रिक्स प्राईवेट लिमिटेड को स्थापित करने और चलाने का आरोप है। यह पुणे और विशाखापत्तनम से संचालित होता था। केस के दर्ज होते ही वह फरार हो गया था। उसे पकड़ने के लिए सीबीआई ने पुणे के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से वारंट हासिल किया।

सीबीआई ने २० नवंबर २०२५ को लखनऊ में विकास कुमार निमार के घर पर छापेमारी कर गिरफ्तार किया। उसके घर से १४ लाख रुपए नकद, कई मोबाइल फोन और साइबर क्राइम से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। तलाशी के दौरान सीबीआई को लखनऊ में आरोपी द्वारा संचालित एक और गैर-कानूनी कॉल सेंटर का भी पता चला, जिसे तुरंत बंद करा दिया गया। इस सेंटर से ५२ लैपटॉप बरामद किए गए, जिनमें साइबर अपराध से संबंधित महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत मौजूद थे।

सीबीआई के अनुसार, बरामद किए गए डिजिटल डिवाइस और दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच जारी है। एजेंसी का कहना है कि यह नेटवर्क एक संगठित ट्रांसनेशनल साइबर-क्राइम रैकेट का हिस्सा है, और आगे भी कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है।

Point of View

यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और ऐसे रैकेट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। यह मामला हमें यह भी सिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से हम साइबर अपराधियों को पकड़ सकते हैं।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई ने कब और कहाँ छापेमारी की?
सीबीआई ने २० नवंबर २०२५ को लखनऊ में विकास कुमार निमार के घर पर छापेमारी की।
गैर-कानूनी कॉल सेंटर का मुख्य उद्देश्य क्या था?
यह कॉल सेंटर अमेरिकी नागरिकों को टारगेट कर साइबर ठगी में शामिल था।
विकास कुमार निमार पर कौन सा आरोप था?
उसे गैर-कानूनी कॉल सेंटर चलाने और साइबर फ्रॉड में शामिल होने का आरोप था।
सीबीआई ने क्या बरामद किया?
सीबीआई ने १४ लाख रुपए नकद, कई मोबाइल फोन और ५२ लैपटॉप बरामद किए।
क्या यह रैकेट केवल भारत में था?
नहीं, यह रैकेट एक ट्रांसनेशनल साइबर-क्राइम रैकेट का हिस्सा था।
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