क्या हरियाणा के मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में शारदीय नवरात्रि की धूम है?

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क्या हरियाणा के मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में शारदीय नवरात्रि की धूम है?

सारांश

हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है। लाखों श्रद्धालु माता का दर्शन करने आए हैं, जिससे मंदिर परिसर में भक्तों का सैलाब देखने को मिला। इस बार नवरात्रि में विशेष तैयारियां की गई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

Key Takeaways

  • मां भीमेश्वरी देवी का मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
  • नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है।
  • हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं।
  • मंदिर के पास पशु मेला लगता है।
  • इस बार आयोजन प्लास्टिक मुक्त रखने का प्रयास किया जा रहा है।

झज्जर, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में सोमवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से प्रारंभ हो गया है। यह मंदिर महाभारत काल से नवरात्रि के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन करने के लिए जाना जाता है। इस दौरान देशभर से लाखों भक्त माता के दर्शन हेतु आ रहे हैं। पहले दिन ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भरपूर भीड़ देखने को मिली।

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व है। सोमवार के दिन माता की प्रतिमा को विशेष सफेद रंग के रत्न जड़ित वस्त्र एवं सोने के आभूषणों से सजाया गया। इस बार नवरात्रि का आयोजन 10 दिनों तक चलेगा और सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध से पूर्व भगवान कृष्ण ने पांडु पुत्र भीम को कुलदेवी से विजय का आशीर्वाद लेने भेजा था। मां भीम ने यात्रा के दौरान कहीं भी उतरने की शर्त रखी थी। जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्होंने माता की प्रतिमा को नीचे रख दिया, तभी से मां भीमेश्वरी देवी यहीं विराजमान हैं।

महाभारत काल से माता की पूजा का सिलसिला जारी है। माता पांडवों की कुलदेवी होने के साथ-साथ बाबा श्याम की भी कुलदेवी हैं। हर साल यहां भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है।

इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि माता की प्रतिमा एक ही है, लेकिन मंदिर दो हैं। रोजाना सुबह 5 बजे पुजारी माता की प्रतिमा को बेरी कस्बे के बाहर वाले मंदिर में लाते हैं। यहां श्रद्धालु दर्शन कर पूजा करते हैं। दोपहर 12 बजे प्रतिमा को अंदर वाले मंदिर में ले जाया जाता है, जहां माता विश्राम करती हैं।

इस बार माता की पोशाक कोलकाता से मंगाई गई है। चांदी के सिंहासन पर विराजमान माता के भव्य स्वरूप के दर्शन हेतु देश के हर कोने से भक्त बेरी पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के दौरान यहां प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों और खच्चरों का पशु मेला भी लगता है, जो घोड़ों के व्यापार और पशु प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है।

शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा से विशेष फल प्राप्त होता है। नवविवाहित जोड़े माता के चरणों में दर्शन कर सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करते हैं। कई श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार कर बाल माता को चढ़ाते हैं ताकि उनके सिर पर माता की कृपा बनी रहे।

इस बार प्रशासन ने आयोजन को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।

मंदिर के पुजारी कुलदीप ने भक्तों से अपील की है कि वे प्लास्टिक का उपयोग न करें। उन्होंने कहा, "जिस प्रकार माता भीमेश्वरी देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं, उसी तरह इस आयोजन को सफल बनाएं।"

Point of View

इससे यह साफ है कि भारतीय संस्कृति में धार्मिक आस्था का कितना महत्व है। यह पर्व न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और संस्कृति को भी दर्शाता है।
NationPress
22/09/2025

Frequently Asked Questions

मां भीमेश्वरी देवी मंदिर कब स्थापित हुआ?
मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
नवरात्रि के पहले दिन किस माता की पूजा की जाती है?
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
क्या इस बार नवरात्रि में विशेष तैयारियां की गई हैं?
जी हां, इस बार नवरात्रि में विशेष तैयारियां की गई हैं, जिसमें माता की पोशाक कोलकाता से मंगाई गई है।
पशु मेला कब लगता है?
नवरात्रि के दौरान यहां प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों और खच्चरों का पशु मेला लगता है।
प्रशासन ने आयोजन को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
प्रशासन ने इस बार आयोजन को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।