क्या आप जानते हैं माँ स्कंदमाता के चमत्कारी मंदिरों के बारे में?

सारांश
Key Takeaways
- माँ स्कंदमाता की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- भारत में कई प्राचीन और भव्य मंदिर हैं।
- नवरात्रि में इन मंदिरों का विशेष महत्व है।
- स्कंदमाता के दर्शन से जीवन में सुख और शांति मिलती है।
- इन मंदिरों की वास्तुकला अद्वितीय है।
नई दिल्ली, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पावन अवसर है। नवरात्रि के पांचवे दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप माँ स्कंदमाता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें मोक्ष प्रदान करने वाली और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है। भारत के कई राज्यों में माँ स्कंदमाता के लिए भव्य और प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनका ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जगतपुरा क्षेत्र स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में माँ स्कंदमाता का मंदिर है। इसका उल्लेख काशी खंड और देवी पुराण में मिलता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में देवासुर नामक राक्षस ने काशी में संतों और आम लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया था, तब माँ स्कंदमाता ने उस दानव का वध कर धर्म की रक्षा की। तभी से यहाँ माता की पूजा होती है। कहा जाता है कि माता यहाँ विराजमान होकर काशी की रक्षा करती हैं और अपने भक्तों को हर बुरी शक्ति से बचाती हैं।
गुजरात के वडोदरा में स्थित स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला और उत्कृष्ट मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहाँ स्कंदमाता के दर्शन करने से भक्तों पर माता की कृपा बनी रहती है और उनके घर में खुशहाली आती है।
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 8वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर अपनी अनूठी काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध है। लकड़ी की नक्काशी और मंदिर की संरचना देखने योग्य है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से जीवन की सारी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति आती है।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ दर्शन करने से बुद्धि का विकास होता है। छात्र-छात्राएं यदि यहाँ विधि-विधान से पूजा करें तो उन्हें पढ़ाई में सफलता मिलती है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 18वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए जाना जाता है। नवरात्रि के समय यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। इसी तरह, विदिशा में पुराने बस स्टैंड के पास सांकल कुएं के निकट स्कंदमाता मंदिर 1998 में स्थापित किया गया। यहाँ पंचमी के दिन विशेष आरती का आयोजन होता है।
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में मदुरै स्थित स्कंदमाता मंदिर 7वीं शताब्दी का है। यह मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।