क्या 'मेड इन इंडिया' ग्राहकों का विश्वास जीत रहा है?

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क्या 'मेड इन इंडिया' ग्राहकों का विश्वास जीत रहा है?

सारांश

भारत के खुदरा और उपभोक्ता परिदृश्य में एक नयापन देखने को मिल रहा है। 'मेड इन इंडिया' की लोकप्रियता बढ़ रही है, जिससे स्थानीय उत्पादों की मांग में तेजी आई है। जानिए इस रिपोर्ट में क्या खास है जो भारतीय उपभोक्ताओं के मन में 'मेड इन इंडिया' के प्रति विश्वास बढ़ा रहा है।

Key Takeaways

  • भारत का रिटेल सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है।
  • स्थानीय उत्पादों के प्रति उपभोक्ताओं में रुझान बढ़ा है।
  • डिजिटल-फर्स्ट उपभोग की प्रवृत्ति में वृद्धि हो रही है।
  • क्विक-कॉमर्स बाजार में तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • घरेलू मांग की मजबूती से दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक है।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत का खुदरा और उपभोक्ता परिदृश्य एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 'मेड इन इंडिया' उपभोक्ताओं का विश्वास जीत रहा है। स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों के प्रति रुझान में बढ़ोतरी हो रही है, जिसमें खाद्य एवं पेय पदार्थों में 68 प्रतिशत, होम डेकोर में 55 प्रतिशत और पर्सनल केयर में 53 प्रतिशत उपभोक्ता भारतीय ब्रांडों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

डेलॉयट और फिक्की की 'स्पॉटिंग इंडियाज प्राइम इनोवेशन मोमेंट' रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का रिटेल सेक्टर 2024 में 1.06 ट्रिलियन डॉलर के मूल्यांकन और 10 प्रतिशत सीएजीआर पर 2030 तक लगभग दोगुना होकर 1.93 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2025 में कुल खपत में 43 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ जेन जी 250 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रत्यक्ष व्यय क्षमता के साथ फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और पर्सनल केयर जैसे क्षेत्रों में प्रीमियम उत्पादों की मांग को बढ़ावा दे रहा है।

इस क्षेत्र की गति एक मजबूत घरेलू बाजार पर निर्भर है, जो वैश्विक व्यापार अस्थिरता के खिलाफ बफर के रूप में कार्य करता है। विकसित होते हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और टैरिफ पुनर्संरेखण भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता को सुधार रहे हैं।

डेलॉयट साउथ एशिया के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रामनाथन ने कहा, "भारत का कंज्यूमर इकोसिस्टम एक निर्णायक दशक में प्रवेश कर रहा है, जिसमें युवा, डिजिटल रूप से निपुण आबादी, बढ़ता मध्यम वर्ग और टियर II और III शहरों का बढ़ता आर्थिक प्रभाव शामिल है, जो अब ई-कॉमर्स लेनदेन के 60 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।"

रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता मांग के प्रमुख रुझानों में डिजिटल-फर्स्ट उपभोग में वृद्धि हो रही है। ऑनलाइन बाजार अब 73 प्रतिशत खरीदारी निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं। भारत का डीटूसी बाजार 2024 में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया और 2025 में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने की ओर अग्रसर है।

टियर II और III शहर ओमनी-चैनल विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। 60 प्रतिशत से ज्यादा ई-कॉमर्स लेन-देन अब टियर II और III शहरों से हो रहे हैं, जो महानगरों से परे खुदरा क्षेत्र में बदलाव का संकेत देते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्विक कॉमर्स बाजार पहुंच को बदल रहा है। भारत दुनिया का पहला विस्तृत क्विक-कॉमर्स मार्केट है, जो 80 से अधिक शहरों में संचालित हो रहा है और 70-80 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। 60 प्रतिशत से ज्यादा जेन जी और मिलेनियल्स पारदर्शी सस्टेनेबिलिटी प्रथाओं वाले ब्रांड पसंद करते हैं।

हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल सेक्टर के लिए वैश्विक मांग की अनिश्चितता, सप्लाई चेन पर दबाव और प्रतिभाओं के कौशल विकास जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी घरेलू मांग की मजबूती के कारण इस क्षेत्र का दीर्घकालिक दृष्टिकोण मजबूत बना हुआ है।

Point of View

बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर रहा है। ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार में अस्थिरता है, यह घरेलू मांग की मजबूती का संकेत है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'मेड इन इंडिया' उत्पादों की मांग बढ़ रही है?
हाँ, हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 'मेड इन इंडिया' उत्पादों की मांग में तेजी आई है, खासकर खाद्य एवं पेय पदार्थों, होम डेकोर और पर्सनल केयर में।
क्या भारत का रिटेल सेक्टर बढ़ रहा है?
जी हाँ, भारत का रिटेल सेक्टर 2024 में 1.06 ट्रिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ बढ़ने का अनुमान है।
क्या टियर II और III शहरों में ई-कॉमर्स बढ़ रहा है?
बिल्कुल, टियर II और III शहरों में ई-कॉमर्स लेन-देन में वृद्धि हो रही है, जो खुदरा क्षेत्र में बदलाव का संकेत है।