क्या मध्य प्रदेश में राजस्व संबंधी प्रकरणों के लिए महाअभियान चलाया जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए महाअभियान की घोषणा की।
- इस अभियान का उद्देश्य भूमि संबंधी समस्याओं का शीघ्र समाधान करना है।
- राजस्व अभिलेखों का डिजिटाइजेशन तेजी से किया जाएगा।
छतरपुर, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को राजस्व विभाग की समीक्षा करते हुए छह माह से अधिक समय से लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए निर्देश दिए हैं। इसके लिए महाअभियान का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग सहित विभिन्न विभागों की समीक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो में बैठक की।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि किसानों और आम नागरिकों की भूमि-संबंधी लंबित प्रकरणों का समाधान करने के लिए राजस्व महाभियान पुनः शुरू किया जाए। इससे नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन और अभिलेखों में सुधार जैसे प्रकरणों का तेजी से और पारदर्शी तरीके से समाधान किया जा सकेगा।
सीएम यादव ने निर्देशित किया कि अधिकारी छह माह से अधिक लंबित प्रकरणों का त्वरित समाधान करें। इसके लिए प्राथमिकता से पीठासीन अधिकारियों से संपर्क करें। राजस्व अभिलेखों का डिजिटाइजेशन का कार्य शीघ्रता से पूरा करें। नागरिकों को उनकी भूमि का त्वरित नक्शा और विवरणों की उपलब्धता आसान बनाएं। इसके लिए वेबसाइट पर सुविधा उपलब्ध कराएं। यह सुविधा अगले दो वर्षों में पूर्ण करें। वेबसाइट से प्राप्त दस्तावेजों को प्रामाणिक बनाएं जिससे दस्तावेजों की डुप्लीकेसी रुकेगी। नवीन आवश्यक आबादी भूमि का चिन्हांकन करें। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश के नक्शाविहीन ग्रामों का नक्शा बनाएं। भू-अर्जन प्रकरणों के एंड-टू-एंड समाधान को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया विकसित करें।
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने बैठक में विभाग की दो वर्ष की उपलब्धियों और नवाचारों की जानकारी दी। इसके साथ ही आगामी तीन वर्ष की कार्ययोजनाएं साझा कीं। इस अवसर पर मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव राजस्व विवेक पोरवाल सहित संबंधित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। बीते दो वर्षों में राजस्व विभाग में कई नवाचार किए गए हैं, इस संबंध में बैठक में जानकारी दी गई और बताया गया कि प्रदेश में भू-अभिलेख पोर्टल का नया वर्जन २.० इसी वर्ष १ अगस्त २०२५ से शुरू हो गया है। लोग मोबाइल पर अपनी भूमि का पूरा रिकॉर्ड देख सकते हैं। मोबाइल ऐप के माध्यम से भू-अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त की जा सकती है।
विभाग ने आगामी तीन वर्षों की कार्ययोजना तैयार की है जिसके अनुसार डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी एक्ट) के अनुरूप विभागीय पोर्टल का आधुनिकीकरण किया जाएगा। नक्शाविहीन ग्रामों के नक्शे बनाने और भू-अर्जन प्रक्रियाओं को एंड-टू-एंड ऑनलाइन किया जाएगा। नवीन आवश्यक आबादी भूमियों को चिन्हित किया जाएगा। इसके साथ ही विश्वास आधारित डायवर्जन प्रक्रिया लागू करने की योजना है।