क्या मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा दम तोड़ रही है: उमंग सिंघार?

सारांश
Key Takeaways
- मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति गंभीर है।
- कफ सिरप से बच्चों की मौत का मुद्दा गंभीर है।
- सरकार को बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
- दवा कंपनियों की नियमित जांच जरूरी है।
- भ्रष्टाचार इस समस्या का मुख्य कारण है।
भोपाल, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में कफ सिरप के कारण बच्चों की बढ़ती मौतों पर कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने भाजपा सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा गंभीर संकट का सामना कर रही है।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार इन बच्चों को अच्छे अस्पतालों में क्यों नहीं भेजती? क्या सरकार इसे केवल औपचारिकता मानती है? जब मुख्यमंत्री से मीडिया सवाल करती है, तो वे इसे पुरानी बात कहकर टाल देते हैं। रोजाना घटनाएं घट रही हैं और बच्चे रोज मर रहे हैं। मैं सीएम से पूछना चाहता हूं कि क्या वे गांव-गांव में कब्रिस्तान बनाने का काम कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार बच्चों की मौत से संबंधित आंकड़ों को छिपाने का प्रयास कर रही है, हर दिन कोई न कोई घटना घटित होती है। उन्होंने कहा कि सरकार को आंकड़ों से ज्यादा बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बेहतर उपचार के लिए सरकार को बच्चों को अच्छे से अच्छे अस्पताल में भेजना चाहिए, लेकिन यह दुखद है कि ऐसा नहीं हो रहा। मैं मानता हूं कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा का दम टूट रहा है। सरकार की योजनाएं केवल कागजों पर चल रही हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार में डॉक्टर गांवों तक नहीं पहुंच पाए। भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ है।
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इंदौर में दवा कंपनियों पर हो रही जांच में एक खतरनाक सच सामने आया है। एक दवा कंपनी में फंगस युक्त पानी से कफ सिरप बनाया जा रहा था। यह सिरप गंदे प्लास्टिक डिब्बों में रखा जाता था और बदबूदार कपड़ों से छानकर प्रदेश के मासूम बच्चों को जहर की तरह परोसा जा रहा था।
हालांकि, 19 बच्चों की मौत के बाद भी सरकार बेखबर है। चौंकाने वाली बात यह है कि अभी भी 8,588 जहरीली कफ सिरप की बोतलें बाजार में मौजूद हैं। ये दोनों तथ्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि सरकार कितनी लापरवाह है। प्रदेश में 19 मासूम बच्चों की मौत जहरीली कफ सिरप से हो चुकी है, लेकिन सरकार की कार्रवाई न तो तेज है और न ही त्वरित।
उन्होंने लिखा, सवाल यह है कि इतने बड़े हादसे के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के निर्देश पर केंद्र और राज्य की टीमें कंपनी का रिस्क-बेस्ड निरीक्षण कर रही हैं। लेकिन सरकार हर बार हादसे के बाद ही क्यों जागती है? अगर दवा बनाने वाली कंपनियों की नियमित जांच होती, तो आज प्रदेश को इतना बड़ा हादसा नहीं झेलना पड़ता। प्रदेश के 19 मासूम बच्चों की जान भ्रष्ट अधिकारियों, दवा कंपनियों की मिलीभगत और सोई हुई सरकार के साथ-साथ फेल स्वास्थ्य तंत्र के कारण गई है।