क्या मध्य प्रदेश सरकार किसानों के मुआवजा वितरण में पक्षपात कर रही है? : जीतू पटवारी

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की फसलें भारी बारिश से बर्बाद हुईं।
- मुआवजा वितरण में पक्षपाती रवैया देखा जा रहा है।
- सरकारी मदद समय पर नहीं मिल रही है।
- कृषि मंत्री की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ रहा है।
भोपाल, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में भारी बारिश ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। किसानों की खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। इसी बीच, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र उर्फ जीतू पटवारी ने मुआवजे के वितरण को लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया है। उनके अनुसार, मुआवजा वितरण में पक्षपात किया गया है।
पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "इस वर्ष भी मध्य प्रदेश के हजारों गांवों में अतिवृष्टि और प्राकृतिक आपदाओं के कारण सोयाबीन, धान, मूंग की हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं। लेकिन, भाजपा की मध्य प्रदेश सरकार मुआवजा बांटने में इस वर्ष भी घोर लापरवाही और पक्षपात कर रही है।"
उन्होंने राज्य में हुई बारिश और उससे फसल की बर्बादी के नुकसान के सर्वे का जिक्र करते हुए कहा कि कई जिलों में सरकारी मदद समय पर नहीं मिली है। 72 घंटे के भीतर नुकसान की रिपोर्ट करने के बावजूद, हफ्तों से सर्वे और भुगतान का इंतजार है। 44 लाख से अधिक किसानों का बीमा क्लेम रुका या लंबित है। हजारों किसानों को अब तक फसल बीमा या मुआवजा नहीं मिला है।
किसानों की समस्याओं पर पटवारी ने कहा कि 2025 में मूंग सहित दाल की समर्थन मूल्य पर खरीद बंद हो गई है। इससे राज्य को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। किसानों की मांग स्पष्ट है, हर नुकसान का त्वरित सर्वेक्षण, पूर्ण मुआवजा और सम्पूर्ण कर्ज की तत्काल माफी हो। लेकिन जब तक सरकार फाइलों में उलझी रहेगी, तब तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था ठप और किसान असहाय रहेंगे।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने मुख्यमंत्री से कहा है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अब देश के कृषि मंत्री बन चुके हैं, लेकिन प्रदेश के किसान आज भी बेहाल हैं। आपने भी निराश किया है। केंद्र की भाजपा की अदूरदर्शी नीतियां कब तक देश के साथ मध्य प्रदेश के किसानों के साथ धोखाधड़ी करती रहेंगी?
वास्तव में, राज्य में भारी बारिश का दौर जारी है, जिसके चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और किसानों की फसलों पर भी असर पड़ा है। किसान एक तरफ खाद बीज के लिए परेशान हैं, तो दूसरी ओर मौसम की मार ने उनका बुरा हाल कर दिया है।