क्या मध्य प्रदेश सरकार के लिए ओबीसी आरक्षण सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है? : कमलनाथ

सारांश
Key Takeaways
- कमलनाथ का आरोप है कि भाजपा ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक रूप से उपयोग कर रही है।
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकीलों की लापरवाही पर सवाल उठाया।
- ओबीसी समुदाय के भविष्य और अधिकारों की रक्षा जरूरी है।
- यह लड़ाई केवल आरक्षण की नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकारों की है।
- भाजपा सरकार की दोहरी राजनीति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
भोपाल, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार केवल ओबीसी आरक्षण पर राजनीति कर रही है।
राज्य में ओबीसी को २७ प्रतिशत आरक्षण देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और अब इस पर ८ अक्टूबर से नियमित सुनवाई होने वाली है।
कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उनके लिए केवल राजनीतिक लाभ उठाने का साधन है, न कि ओबीसी समाज के अधिकारों की वास्तविक लड़ाई। उन्होंने कहा कि यह सरकार ओबीसी आरक्षण के मामले में केवल नाटक कर रही है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकार के वकील बिना तैयारी के अदालत में मौजूद थे।
कमलनाथ ने कहा कि जिस मुद्दे पर ओबीसी वर्ग की भावनाएं और भविष्य निर्भर करते हैं, उस पर सरकार के वकील अदालत में ऐसे पहुंचे जैसे किसी नाटक का मंचन करने जा रहे हों। अदालत को कहना पड़ा कि हम सुनवाई के लिए तैयार हैं, लेकिन आप तैयार नहीं हैं। यह वाक्य पूरे प्रदेश के ओबीसी समाज के लिए सबसे बड़ा सबूत है कि भाजपा सरकार ने उन्हें केवल धोखा दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, 'भाजपा की असली सच्चाई यही है कि ये लोग केवल चुनावों के समय ओबीसी का नाम लेते हैं, खुद को ओबीसी हितैषी बताते हैं, लेकिन अदालत में उनकी लापरवाही ओबीसी वर्ग के भविष्य को खतरे में डालती है। अदालत की नाराजगी इस बात का प्रमाण है कि सरकार ने न तो रिपोर्टें ठीक से पेश कीं और न ही अपने वकीलों को गंभीरता से तैयार किया। यह भाजपा सरकार की दोहरी राजनीति है, बाहर आकर बड़ी-बड़ी बातें करना और अंदर जाकर ओबीसी अधिकारों को कमजोर करना। यह ओबीसी समाज के साथ सबसे बड़ा धोखा है।'
कमलनाथ ने कहा कि यह सवाल स्पष्ट हो चुका है कि जब सुप्रीम कोर्ट तक यह मान रहा है कि सरकार गंभीर नहीं है, तो ओबीसी समाज और मध्य प्रदेश की जनता कब तक इस दिखावे और धोखे को सहन करेगी? यह लड़ाई सिर्फ आरक्षण की नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की है और भाजपा सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए ओबीसी केवल एक राजनीतिक मोहरा हैं, वोट बैंक हैं, उनकी तकदीर और उनके हक की उन्हें कोई परवाह नहीं।