क्या मध्य प्रदेश में विजयादशमी पर रावण की पूजा होती है?

सारांश
Key Takeaways
- मध्य प्रदेश में रावण की पूजा का अनोखा रिवाज है।
- विभिन्न गांवों में रावण को दामाद और पूर्वज माना जाता है।
- दशहरे पर विशेष अनुष्ठान और पूजा आयोजित होते हैं।
- यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।
- स्थानीय लोग रावण से क्षमा याचना करते हैं।
भोपाल, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विजयादशमी के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में रावण की पूजा भी होती है?
देश के विभिन्न हिस्सों में आज विजयदशमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाए जा रहे हैं, जिनका दहन किया जाएगा।
मान्यता है कि असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा है और इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। एक ओर जहां रावण और उसके परिवार के सदस्यों के दहन की तैयारियाँ चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कई स्थान हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है।
मंदसौर को रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। मंदसौर के दशपुर गांव में रावण की नियमित आराधना होती है, क्योंकि वह इस गांव का दामाद है। यहाँ नामदेव समाज के लोग रहते हैं और यहां लगभग 41 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। दशहरे पर यहाँ विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इस दिन राम-रावण का युद्ध होता है और दहन से पहले स्थानीय लोग रावण से क्षमा याचना भी करते हैं।
इसी प्रकार विदिशा जिले में एक गाँव है जिसका नाम रावण है, जहाँ रावण की पूजा होती है। रावण की यहाँ लेटी हुई प्रतिमा है और गाँव में बहुसंख्यक ब्राह्मण निवास करते हैं। दशहरे के दूसरे दिन इस प्रतिमा की विशेष पूजा की जाती है। यहाँ एक रावण का मंदिर भी है और लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं, जिसे वे रावण बाबा कहते हैं।
इस प्रकार, एक ओर जहाँ रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन की तैयारियाँ चल रही हैं, वहीं रावण को आराध्य मानने वाले लोग भी कम नहीं हैं। कहीं उसे दामाद के रूप में पूजा जा रहा है, तो कहीं लोग उसे अपने पूर्वज के रूप में मानते हैं।