क्या बिहार में महागठबंधन की लड़ाई सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ है?: अब्दुल बारी सिद्दीकी (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

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क्या बिहार में महागठबंधन की लड़ाई सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ है?: अब्दुल बारी सिद्दीकी (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

सारांश

बिहार में महागठबंधन और एनडीए के बीच चुनावी लड़ाई में अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सांप्रदायिकता के खिलाफ उठाए गए कदमों पर चर्चा की। जानें कैसे यह चुनाव विचारधाराओं के संघर्ष का प्रतीक है।

Key Takeaways

  • महागठबंधन का उद्देश्य सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई है।
  • तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं।
  • बिहार में एक नई राजनीतिक दृष्टि का उदय हो रहा है।
  • भाजपा के नकारात्मक अभियानों का सामना करना होगा।
  • अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

पटना, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख महासचिव और लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी अब्दुल बारी सिद्दीकी ने रविवार को कहा कि बिहार में दो विचारधाराओं के बीच चुनावी संघर्ष चल रहा है और महागठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।

अब्दुल बारी सिद्दीकी ने राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष बातचीत में कई सवालों के जवाब दिए।

साक्षात्कार के कुछ अंश इस प्रकार हैं:

सवाल: बिहार में यह शायद पहला चुनाव है जिसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव मौजूद नहीं हैं। क्या आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब: लालू प्रसाद यादव अस्वस्थ हैं, इसलिए वे इस चुनाव में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हैं, लेकिन उनकी दिशा, रणनीति और दूरदर्शिता सभी के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत बने हुए हैं और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ पार्टी की लड़ाई का नेतृत्व करते रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में तेजस्वी ने भी अपनी अलग पहचान बनाई है, लेकिन चुनावी मैदान मुख्य रूप से लालू बनाम बाकी सब के इर्द-गिर्द घूमता है। सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लालू की दशकों की जनसेवा से भयभीत हैं, इसलिए वे लगातार दुर्भावनापूर्ण और नकारात्मक अभियानों के जरिए उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

सवाल: क्या अब्दुल बारी सिद्दीकी निर्णय लेने में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से राजद नेतृत्व से नाराज हैं?

जवाब: मैं राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक हूं। मैं दशकों से लालू यादव के साथ हूं और हमने कर्पूरी ठाकुर के विजन को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम किया है। हमारे लिए पार्टी की विचारधारा किसी भी व्यक्ति से बड़ी है, इसलिए किसी के साथ मतभेद या मनमुटाव का कोई सवाल नहीं उठता है।

सवाल: राजद नेता चुनाव प्रचार के मंच से दावा कर रहे हैं कि तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन के सत्ता में आते ही वे वक्फ बिल की धज्जियां उड़ा देंगे। इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब: यह चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई है। एक तरफ एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके समाज को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन प्रगतिशील राजनीति कर रहा है और सांप्रदायिक और सामाजिक सद्भाव बहाल करने की कोशिश कर रहा है।

एनडीए के पास बताने के लिए कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं है, इसलिए वह सार्वजनिक बहस को बिगाड़ने के लिए बेतुके मुद्दों का सहारा ले रहा है। अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वे हम पर 'जंगलराज' का आरोप लगा रहे हैं।

सवाल: मुकेश सहनी को महागठबंधन का उपमुख्यमंत्री फेस बनाया गया है। क्या इससे आपके अल्पसंख्यक वोट बैंक में गलत संदेश जाएगा?

जवाब: मुसलमानों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चुनावों में अपनी गरिमा और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक है। भाजपा विकास की राजनीति नहीं कर रही है, बल्कि सांप्रदायिकता के नाम पर चुनावों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। उसके नेता कह रहे हैं कि वे अलीगंज का नाम बदलकर आदर्शगंज कर देंगे। क्या इसे ही विकास-आधारित राजनीति कहते हैं?

सवाल: आप वीआईपी नेता मुकेश सहनी को कैसे आंकते हैं? क्या वे एक भरोसेमंद नेता हो सकते हैं?

जवाब: मुकेश सहनी एक पिछड़े और साधारण परिवार से आते हैं और 'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से लोकप्रिय हैं। पिछड़ों और वंचितों को मजबूत करने की लालू की विचारधारा हमारा केंद्र है, लेकिन भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए चुनावों को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है।

सवाल: तेजस्वी यादव को जननायक के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन उनके भाई तेज प्रताप इससे सहमत नहीं हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब: जब जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने आरक्षण का एक फॉर्मूला लागू किया - अनुलग्नक-1 के लिए 12 प्रतिशत, अनुलग्नक-2 के लिए 8 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत और उच्च जातियों के गरीबों के लिए 3 प्रतिशत कुल मिलाकर 26 प्रतिशत। जब यह फॉर्मूला लागू किया गया तो कई लोगों ने आरक्षण लागू करने के लिए उनकी आलोचना की और उन्हें कोसा।

तेजस्वी को लालू यादव की विरासत मिली है और वे पिछड़े वर्गों की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें समय लगेगा, लेकिन अगर वे कर्पूरी ठाकुर और लालू यादव के आदर्शों और दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते रहेंगे तो जनता उन्हें निश्चित रूप से जन-रक्षक के रूप में पहचानेगी।

सवाल: क्या महागठबंधन को टिकट आवंटन और प्रचार अभियान में देरी की कीमत चुकानी पड़ेगी?

जवाब: बड़ी पार्टियों को विवरणों को अंतिम रूप देने में समय लगता है, लेकिन नजरिया साफ है - महागठबंधन भाईचारे और सद्भाव की अपनी विचारधारा के साथ सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों से लड़ रहा है।

सवाल: यूएन बिस्वास ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि कांग्रेस चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को बचाना चाहती थी। आपकी क्या राय है?

जवाब: मैं तो यही कहूंगा कि लालू यादव को इस मामले में फंसाया गया और झूठा फंसाया गया। सत्ता से बेदखल होने के बाद यह सरकार भी मुश्किल में पड़ जाएगी। आज के शासन में भ्रष्टाचार और भी ज्यादा जड़ जमा चुका है। कोई काम नहीं हो रहा है।

Point of View

बल्कि विचारधाराओं के संघर्ष का भी प्रतीक है। महागठबंधन का उद्देश्य सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ खड़ा होना है, जो समाज को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में महागठबंधन का क्या उद्देश्य है?
महागठबंधन का उद्देश्य सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एकजुट होना है।
अब्दुल बारी सिद्दीकी का महागठबंधन में क्या रोल है?
अब्दुल बारी सिद्दीकी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख महासचिव हैं और पार्टी की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
तेजस्वी यादव की भूमिका क्या है?
तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता हैं और वे अपने पिता लालू यादव की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
एनडीए पर क्या आरोप हैं?
एनडीए पर आरोप है कि वह अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए नकारात्मक प्रचार कर रहा है।
महागठबंधन का अल्पसंख्यक वोट बैंक कैसे प्रभावित होगा?
महागठबंधन का ध्यान अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और गरिमा पर केंद्रित है।