क्या केंद्र की योजनाओं ने किसान वसंत शंकर की जिंदगी बदल दी?
सारांश
Key Takeaways
- केंद्र सरकार की योजनाएं किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।
- वसंत शंकर काले की कहानी आत्मनिर्भरता की मिसाल है।
- आर्थिक सहायता से किसानों का जीवन स्तर ऊंचा हुआ है।
- सरकारी योजनाओं का सही ढंग से लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।
- पीएम मोदी का धन्यवाद कि उन्होंने किसानों की स्थिति में सुधार किया।
पवनानगर, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाकर गरीब और वंचित वर्ग अब आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं।
महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका के छोटे किसान, वसंत शंकर काले, आज खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। पहले सीमित साधनों के साथ संघर्ष कर रहे वसंत शंकर की जिंदगी अब केंद्र सरकार की तीन प्रमुख योजनाओं - प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना और आयुष्मान भारत योजना के कारण बदल चुकी है।
देशभर के करोड़ों किसानों की तरह, वसंत शंकर काले को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से सीधा लाभ मिल रहा है। यह योजना उनके लिए खेती की रीढ़ साबित हुई है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से एक खास बातचीत में बताया कि वह किसान सम्मान निधि योजना से मिलने वाली राशि से बीज, खाद, दवाइयां और कीटनाशक खरीदते हैं। अगर यह मदद न मिले तो किसानों के लिए खेती करना बहुत कठिन हो जाएगा।
अब वसंत शंकर का अपना पक्का घर भी है, जो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मिला। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत उन्होंने अपना आयुष्मान कार्ड बनवाया है, जिससे परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम हो गई है।
वसंत शंकर बताते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों को घर मिला है, किसान सम्मान योजना से आर्थिक मदद और आयुष्मान भारत योजना से अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। ये तीनों योजनाएं हमारे जैसे किसानों के लिए वरदान साबित हुई हैं।
उनका मानना है कि इन योजनाओं ने न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है, बल्कि गांवों के जीवन स्तर को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। वे कहते हैं कि गांव के 80 से 90 प्रतिशत किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं।
काले की कहानी इस बात का उदाहरण है कि जब सरकारी योजनाएं सही लोगों तक पहुंचती हैं, तो वे सिर्फ सहायता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मान का आधार बन जाती हैं।