क्या महालक्ष्मी के प्रसिद्ध मंदिरों में आशीर्वाद प्राप्त करने से धन की समस्या का समाधान होता है?

सारांश
Key Takeaways
- महालक्ष्मी मंदिरों में मां लक्ष्मी की कृपा से धन की प्राप्ति होती है।
- उज्जैन का गज लक्ष्मी मंदिर अद्वितीय प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।
- अष्टलक्ष्मी मंदिर में आठ रूपों में मां लक्ष्मी का पूजन होता है।
- धनतेरस और दीपावली पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
- मंदिरों का धार्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक समृद्धि में भी योगदान है।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अक्टूबर का महीना त्योहारों का प्रतीक है, जिसमें धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे महत्वपूर्ण पर्व शामिल हैं। हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि दीपावली पर उनके घर महालक्ष्मी का स्वागत हो। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां जाकर भक्तों को मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और धन-धान्य का आगमन होता है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां मां लक्ष्मी को सोने, चांदी और हीरे से सजाया जाता है। दीपावली और नवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड़ होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाला भक्त कभी निराश नहीं लौटता।
बांग्लादेश में भी मां लक्ष्मी को समर्पित 'महालक्ष्मी गर्भ शक्तिपीठ' है, जिसे 'श्री शैल' या 'ग्रीवा शक्तिपीठ' के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर सिलहट जिले के जोइनपुर गांव में स्थित है।
दीपावली के अवसर पर इस मंदिर को रंग-बिरंगी सजावट से सजाया जाता है और श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।
चेन्नई के बेसेंट नगर में स्थित अष्टलक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा होती है। यहां वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, और आदिलक्ष्मी के रूपों में मां लक्ष्मी विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां मां लक्ष्मी की कृपा से धन और संतान दोनों की प्राप्ति होती है।
उज्जैन में मां लक्ष्मी 'गज लक्ष्मी' के स्वरूप में उपस्थित हैं। यह मंदिर उज्जैन के नई पेठ मध्य सर्राफा बाजार के समीप स्थित है। यहां मां लक्ष्मी की विशेष प्रतिमा सफेद हाथी पर विराजमान है, जिसे अन्यत्र देख पाना संभव नहीं है। यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना है और यहां पूजा करने से मां लक्ष्मी समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं।