क्या महाराष्ट्र में 58 करोड़ रुपए का 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाला सामने आया है? 7 आरोपी गिरफ्तार

सारांश
Key Takeaways
- 58 करोड़ रुपए का घोटाला
- 7 आरोपियों की गिरफ्तारी
- 4 करोड़ रुपए की राशि सुरक्षित
- आधुनिक तकनीक का उपयोग
- बैंकों के लिए एसओपी जारी
मुंबई, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र साइबर विभाग ने अब तक के सबसे बड़े 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाले का खुलासा किया है। इस मामले में पुलिस ने सात व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी महाराष्ट्र साइबर विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यशस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की।
एडीजी यशस्वी यादव ने बताया कि यह घोटाला 58 करोड़ रुपए का है, जिसमें पीड़ित एक शिक्षित व्यक्ति और एक फार्मा कंपनी का संस्थापक है। ठगों ने ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कीं कि यह व्यक्ति साइबर अपराधियों के 'डिजिटल अरेस्ट' का शिकार बन गया।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस घोटाले में अपराधियों ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया। उन्होंने पुलिस थाने, अदालत और अधिकारियों के नाम पर एक नकली सेटअप तैयार किया, जिससे पीड़ित को यह विश्वास हुआ कि वह किसी वास्तविक कानूनी कार्रवाई में फंस गया है। यह ठगी लगभग 40 दिनों तक चलती रही। 29 सितंबर को अंतिम लेनदेन हुआ, जिसके बाद पीड़ित ने अपने दोस्तों को इस घटना की जानकारी दी।
इस घटना से पीड़ित व्यक्ति मानसिक सदमे में चला गया और 11 दिन तक साइबर विभाग से संपर्क नहीं कर पाया। हालांकि, जब शिकायत मिली, तब महाराष्ट्र साइबर टीम ने लगभग 6 हजार बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। अब तक विभाग ने 58 करोड़ में से 4 करोड़ रुपए सुरक्षित वापस कराने में सफलता प्राप्त की है।
एडीजी यशस्वी यादव ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट घोटाला है। हमारी नौ टीमें इस मामले पर लगातार कार्य कर रही हैं और हमें उम्मीद है कि अन्य राशि भी बरामद होगी। उन्होंने बताया कि हमने इस घोटाले में शामिल 7 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
इसके अलावा, पुलिस अधिकारी ने कहा कि बैंकों को अपनी गाइडलाइंस और सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हम आरबीआई समेत सभी बैंकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष अब तक 3 हजार से अधिक डिजिटल अरेस्ट मामलों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से कई मामलों का सफलतापूर्वक खुलासा किया जा चुका है।