क्या महाराष्ट्र में भी एसआईआर की जरूरत है? फर्जी मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है: संजय निरुपम

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क्या महाराष्ट्र में भी एसआईआर की जरूरत है? फर्जी मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है: संजय निरुपम

सारांश

महाराष्ट्र में फर्जी मतदाताओं की बढ़ती संख्या पर संजय निरुपम ने चिंता जताई है। उन्होंने एसआईआर की मांग की, जिससे चुनावी प्रक्रिया को नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके। क्या यह कार्रवाई वास्तव में आवश्यक है?

Key Takeaways

  • महाराष्ट्र में फर्जी मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है।
  • संजय निरुपम ने एसआईआर की मांग की है।
  • फर्जी मतदाताओं का होना लोकतंत्र के लिए खतरा है।
  • बिहार में एसआईआर सफल रहा था।
  • उद्धव ठाकरे की पार्टी कांग्रेस के साथ मिली हुई है।

मुंबई, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रमुख नेता और प्रवक्ता संजय निरुपम ने सोमवार को महाराष्ट्र में भी फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए एसआईआर की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता सूची में शामिल हो चुके हैं।

संजय निरुपम ने कहा कि जिस प्रकार बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व राज्य में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के तहत फर्जी मतदाताओं के खिलाफ अभियान चलाया गया था, उसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी इसे प्रारंभ किया जाना चाहिए। बिहार में इस कार्रवाई के दौरान विरोधी दलों ने विरोध किया था। आज वही लोग 'वोट चोरी' के आरोप लगा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता सूची में शामिल हैं, जिनमें से कुछ के अंडरवर्ल्ड से संबंध होने की आशंका है। शिवसेना यूबीटी के कुछ उम्मीदवार ऐसे फर्जी मतदाताओं के आधार पर जीतते हैं, एसआईआर के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी। उद्धव ठाकरे की पार्टी कांग्रेस की खुशामद करने वाली पार्टी बन गई है। बालासाहेब ठाकरे ने कांग्रेस को नकार दिया था, लेकिन उद्धव ठाकरे आज उसी पार्टी के भरोसे हैं। इसके बावजूद उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिला।

निरुपम ने कहा कि उनकी शिवसेना हिंदुत्व के विचारों पर आगे बढ़ने वाली पार्टी है और भाजपा के साथ उसका गठबंधन मजबूत और स्थायी है। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और शरद पवार के साथ मिलकर बाला साहेब ठाकरे के विचारों से गद्दारी की है।

उन्होंने कहा, “पिछले चार वर्षों से उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने पार्टी, प्रतीक और उनके पिता की विरासत चुरा ली, लेकिन यह केवल भावनात्मक मुद्दा है, इसमें कोई कानूनी या तथ्यात्मक आधार नहीं है। असल में उद्धव ने खुद हिंदुत्व की विचारधारा छोड़ दी, जिससे शिवसैनिकों में असंतोष फैला। इसलिए शिंदे ने बाला साहेब के हिंदुत्व विचारों के अनुरूप भाजपा के साथ मिलकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया।”

निरुपम ने उद्धव ठाकरे से कहा कि अब रोना बंद करें और विकास के मुद्दों पर बात करें। धनुष-बाण प्रतीक शिवसेना का था और आज भी शिवसेना का है। उद्धव ठाकरे अगर एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम नहीं मानते, तो यह संविधान का अपमान है। जब संविधान पर भरोसा नहीं है, तो ‘संविधान बचाओ रैली’ निकालने का क्या मतलब? बालासाहेब ठाकरे के रक्त के वारिस उद्धव हो सकते हैं, लेकिन विचारों के वारिस शिंदे और शिवसैनिक हैं।

निरुपम ने कहा, “राउत का दावा कि एकनाथ शिंदे के पास पांच लाख करोड़ की संपत्ति है, पूरी तरह निराधार और हास्यास्पद है। जब किसी ने बालासाहेब ठाकरे पर 100 करोड़ की संपत्ति का आरोप लगाया था, तब उन्होंने कहा था ‘कागज लेकर आओ और आधी संपत्ति ले जाओ।’ अब वही बात मैं राउत से कहना चाहता हूं, कागज लेकर आइए और आधी संपत्ति लेकर जाइए।”

निरुपम ने कहा कि विधानसभा चुनाव में जैसी स्थिति यूबीटी की रही थी, वैसी ही स्थिति स्थानीय निकाय चुनावों में भी होगी।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए प्रयास करें। फर्जी मतदाताओं का मुद्दा गंभीर है, और इससे लोकतंत्र को खतरा हो सकता है। सभी पार्टियों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का मतलब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन है, जिसका उपयोग फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए किया जाता है।
संजय निरुपम का क्या कहना है?
संजय निरुपम ने महाराष्ट्र में फर्जी मतदाताओं की संख्या बढ़ने पर चिंता जताई है और एसआईआर की मांग की है।
फर्जी मतदाता चुनावों को कैसे प्रभावित करते हैं?
फर्जी मतदाता चुनाव परिणामों को बदल सकते हैं, जिससे असली मतदाताओं की आवाज दब सकती है।