क्या महाराष्ट्र निकाय चुनाव के बाद ‘वोट चोरी’ का ड्रामा करने वाले प्रचार अभियान के समय गायब हैं?
सारांश
Key Takeaways
- महाराष्ट्र में लगभग ४०० नगर परिषदों में चुनाव हो रहे हैं।
- महायुति ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
- पर्यावरण के संरक्षण पर जोर दिया गया है।
- प्रचार की स्थिति में विपक्ष के नेताओं की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए गए हैं।
- पेड़ काटने से बचने की आवश्यकता है।
मुंबई, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव और नासिक महाकुंभ में पेड़ काटने समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्र प्रेस से चर्चा की। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में लगभग ४०० से अधिक नगर परिषदों में चुनाव हो रहे हैं। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है और कल मतदान होना है।
निरुपम ने कहा कि महायुति ने निर्णय लिया था कि सभी पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। हम एक गठबंधन के तहत स्थानीय चुनाव नहीं लड़ेंगे। पिछले १०-१५ दिनों में देखा गया है कि जो पार्टियां सरकार में हैं, उनके नेता जोरदार प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार जिले-दर-जिले जाकर प्रचार कर रहे हैं, जबकि विपक्ष के नेता प्रचार से गायब हैं।
उन्होंने कहा कि जो नेता प्रचार करते हैं, लोग उनके साथ खड़े रहेंगे। वहीं, जो नेता एयर कंडीशनर वाले कमरे में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, उन्हें लोग वोट क्यों देंगे? चुनाव हारने के बाद वही लोग वोट चोरी और ईवीएम में घोटाले का ड्रामा करने लगते हैं। उनका कहना है कि पहले तो ये लोग प्रचार नहीं करते, बाद में यही लोग वोट चोरी का ड्रामा भी करते हैं। यह कहीं से भी उचित नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आवश्यक नहीं कि जो प्रचार करे वही चुनाव जीते, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि आप चुनाव प्रचार ही न करें।
नासिक महाकुंभ पर बात करते हुए निरुपम ने कहा कि यह आयोजन अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है और पूरा देश इसकी सफलता के लिए खड़ा है, लेकिन इतना बड़ा आयोजन करते समय पर्यावरण का ध्यान रखना आवश्यक है। पेड़ काटने से बचना चाहिए, क्योंकि वृक्ष हमारे लिए बहुत जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम पूरे देश में प्रकृति की रक्षा करेंगे, तभी प्रकृति हमारी रक्षा करेगी।
निरुपम ने साफ कहा कि बड़े आयोजन के समय संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। महाकुंभ जैसे अनुष्ठानों में लोगों की संख्या बहुत होती है, लेकिन सफलता पर्यावरण के संतुलन पर भी निर्भर करती है। इसलिए पेड़ काटना नहीं चाहिए और सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे आयोजन सफल हो और पर्यावरण सुरक्षित रहे।