क्या महुआ मोइत्रा की टिप्पणी सनातनियों और नामशूद्र समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक है?

सारांश
Key Takeaways
- महुआ मोइत्रा की टिप्पणी पर विवाद बढ़ा है।
- अमित मालवीय ने संगठनों से इस्तीफे की मांग की है।
- राजनीतिक बयानबाजी से सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।
- सभी समुदायों के बीच सम्मान जरूरी है।
- टीएमसी और भाजपा के बीच तनाव बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा पर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने गंभीर आरोप लगाए हैं। मालवीय का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक के दौरान महुआ मोइत्रा ने सनातनियों, विशेषकर नामशूद्र समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी की।
भाजपा के आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केंद्रीय पर्यवेक्षक ने अपने 'एक्स' हैंडल पर 28 अगस्त को दिए गए उनके भाषण का एक वीडियो साझा करते हुए, मोइत्रा से सांसद पद से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की।
उन्होंने पोस्ट में लिखा, "28 अगस्त को करीमपुर ब्लॉक-2 में तृणमूल कार्यकर्ताओं की एक बैठक में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सनातनियों के खिलाफ, विशेषकर नामशूद्र समुदाय को निशाना बनाते हुए, चौंकाने वाली और शर्मनाक टिप्पणी की। उन्होंने हिंदुओं का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि पूरे साल तृणमूली रहते हो और चुनाव के दौरान सनातनी? - खुलेआम यह घोषणा करते हुए कि कोई एक ही समय में हिंदू और तृणमूल समर्थक नहीं हो सकता!"
मालवीय ने कहा कि टीएमसी सांसद ने अनुसूचित जातियों, नामशूद्रों और मतुआओं का अपमान करते हुए, अहंकार से ऐसे बोल रहे थे मानो सरकारी धन तृणमूल की निजी संपत्ति हो। उन्होंने आगे बढ़कर वैष्णव समुदाय की कंठी माला में पवित्र आस्था का मजाक उड़ाते हुए कहा कि लकड़ी की माला पहनकर, तुम लोग दान लेने आते हो!
अमित मालवीय ने महुआ मोइत्रा की इस टिप्पणी को शुद्ध हिंदू विरोधी और जातिवादी घृणास्पद भाषण बताते हुए कहा कि इस तरह के सांप्रदायिक जहर के लिए कोई माफी नहीं हो सकती।
उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, "भाजपा हमेशा से नामशूद्र, अनुसूचित जाति और मतुआ समुदायों के साथ मजबूती से खड़ी रही है। अब समय आ गया है कि ये समुदाय महुआ मोइत्रा का तत्काल इस्तीफा मांगें और एक बड़ा आंदोलन शुरू करें। एससी-एसटी और हिंदू समुदायों का अपमान करने के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।"
वीडियो क्लिप में तृणमूल सांसद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अनुसूचित जाति, नामशूद्र और मतुआ समुदाय के लोग ममता बनर्जी सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाते हैं, लेकिन चुनावों के दौरान वे भाजपा के पक्ष में वोट देते हैं। उनके अनुसार, अनुसूचित जाति-बहुल सीटों पर 100 में से 85 वोट भाजपा को जाते हैं, जबकि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।