क्या मालेगांव ब्लास्ट का निर्णय भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता का प्रतीक है?

सारांश
Key Takeaways
- मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में सभी आरोपियों को बरी किया गया।
- न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता को मान्यता दी गई।
- साबले ने मोदी सरकार की प्रशंसा की।
- भगवा आतंकवाद के आरोपों पर सवाल उठाए गए।
- सत्य की रक्षा के लिए न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करने का आवश्यक है।
पुणे, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व राज्यसभा सांसद अमर साबले ने मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 31 जुलाई को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत किया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। उन्होंने इस निर्णय को भारत की न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया।
साबले ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के नेतृत्व में देश में न्याय का समुचित प्रवाह हो रहा है और यह सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत पर कार्य कर रही है।
पूर्व सांसद ने शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि सत्य को कष्ट सहन करना पड़ सकता है, लेकिन वह कभी पराजित नहीं हो सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में भगवा आतंकवाद के नाम पर निर्दोष लोगों को झूठे आरोपों में फंसाया गया, जिसके कारण साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों को 9 वर्षों तक कष्ट सहना पड़ा। साबले ने गलत जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने इस धमाके में मारे गए 6 लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की।
पूर्व सांसद ने एनआईए की विशेष अदालत के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की न्यायिक व्यवस्था सत्य के साथ है और इससे आम जनता का कोर्ट पर विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से षड्यंत्र रचा गया और निर्दोष लोगों को जेल में डाला गया, यह गलत था। बोले, "2008 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में, मुंबई बम ब्लास्ट के दौरान, एक समुदाय को खुश करने के लिए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोगों को झूठे केस में फंसाया गया।"
मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी जाति या धर्म की नहीं है, बल्कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत पर कार्य करती है।
उन्होंने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ संसद परिसर में हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, "जेल में उन्होंने जो सहन किया, उसे सुनकर मैं प्रार्थना करता हूं कि ऐसी स्थिति किसी के जीवन में न आए। कानून को अपना काम करना चाहिए और गलत जांच करने वाली प्रणाली को दंडित करने का एक तंत्र होना चाहिए।