क्या अमित मालवीय की हिम्मत 'बंगाली जैसी कोई भाषा नहीं है' कहने की थी? : ममता बनर्जी

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क्या अमित मालवीय की हिम्मत 'बंगाली जैसी कोई भाषा नहीं है' कहने की थी? : ममता बनर्जी

सारांश

अमित मालवीय के विवादास्पद बयान ने बंगाल की राजनीति को झकझोर दिया है। ममता बनर्जी ने उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जानिए इस मामले में क्या है सच्चाई और कैसे यह राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है।

Key Takeaways

  • अमित मालवीय का बयान बंगाल में राजनीतिक तनाव लाया है।
  • ममता बनर्जी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
  • भाषा सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
  • राजनीतिक बयानबाजी की जड़ें गहरी हैं।
  • भाषाई विविधता का सम्मान आवश्यक है।

कोलकाता, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अमित मालवीय ने दावा किया था कि भारत में 'बांग्ला भाषा' का कोई अस्तित्व नहीं है। उनका कहना है कि वास्तव में बंगाली कोई एकल भाषा नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति और जातीय पहचान को दर्शाती है। मालवीय के इस विवादास्पद बयान ने बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह कैसे हिम्मत हुई कि वे कहें कि बंगाली जैसी कोई भाषा नहीं है? उनके पास एक राक्षसी भाषा है, जिसे वे गलत सूचना के रूप में जानते हैं, और इसी का उपयोग करके वे लोगों को बांटते हैं।

ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि वह पूरे विश्व को बताना चाहती हैं कि यह सरकार लोगों पर अत्याचार कर रही है और उनके अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके हक के पैसे रोक दिए गए हैं, लेकिन हमने सड़कों, आवास और कर्मश्री योजना के लिए खुद ही फंड जुटाए हैं।

उन्होंने तंज करते हुए कहा कि भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख ने कहा कि मुझे (ममता बनर्जी) राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए अगर मैं बंगाली भाषा के पक्ष में बोलूं।

ममता बनर्जी ने चुनौती दी कि अगर उनमें हिम्मत है तो बताएं, हमें कब गिरफ्तार करेंगे? हमें कब गोली मारेंगे? सीपीआई(एम) ने भी हम पर गोली चलायी थी। क्या बंगाल देश का हिस्सा नहीं है? यह स्थिति अस्वीकार्य है।

इससे पहले, पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने अमित मालवीय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन्हें कुछ नहीं पता। अगर वह भारतीय होते तो उन्हें बांग्ला भाषा का ज्ञान अवश्य होता। जो व्यक्ति बंगाल के योगदान से अनभिज्ञ है, उससे यह उम्मीद करना कि वह भारत के बारे में जानता है, यह पूरी तरह से गलत है।

Point of View

बल्कि यह एक संस्कृति और पहचान का प्रतीक है। अमित मालवीय का बयान न केवल बंगाल की भावना को ठेस पहुँचाता है, बल्कि यह देश की विविधता का भी अपमान है। एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण से, हमें भाषाई विविधता का सम्मान करना चाहिए।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या अमित मालवीय का बयान विवादास्पद है?
जी हाँ, अमित मालवीय का बयान बंगाल की संस्कृति और भाषा को चुनौती देता है, जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
ममता बनर्जी ने इस पर क्या कहा?
ममता बनर्जी ने अमित मालवीय पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह बयान गलत सूचना और विभाजन का एक हिस्सा है।
क्या यह मामला केवल राजनीतिक है?
यह मामला केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह बंगाली भाषा और संस्कृति के प्रति सम्मान और पहचान का भी मामला है।