क्या ममता बनर्जी ने एसआईआर से प्रभावित कर्मियों के लिए मुआवजे का ऐलान किया?
सारांश
Key Takeaways
- ममता बनर्जी का मुआवजा निर्णय महत्वपूर्ण है।
- एसआईआर के दबाव के कारण आत्महत्या के मामले गंभीर हैं।
- राज्य सरकार ने प्रभावितों के प्रति सहानुभूति दिखाई।
- सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ ममता बनर्जी का स्पष्ट रुख।
कोलकाता, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को उन व्यक्तियों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, जिनकी राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दबाव के चलते आत्महत्या या गंभीर बीमारी के कारण मृत्यु हुई।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों के लिए भी मुआवजे का ऐलान किया, जिनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई थी, क्योंकि उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया या एसआईआर से जुड़े दबाव के कारण बीमार पड़ गए थे।
सीएम ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में घोषणा की कि राज्य के खजाने से मुआवजा पाने वालों में एसआईआर प्रक्रिया में लगे बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) भी शामिल होंगे, जो एसआईआर से जुड़े दबाव के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने 2011 से अपने नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार की उपलब्धियों पर एक प्रगति रिपोर्ट भी जारी की, जिस वर्ष तृणमूल कांग्रेस शासन की शुरुआत हुई और 34 वर्षों के वाम मोर्चा शासन का अंत हुआ।
उनके अनुसार, एसआईआर से जुड़े दबाव के कारण कथित तौर पर मरने वाले व्यक्तियों के परिवारों को 2,00,000 रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा।
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि जिन लोगों की हालत गंभीर हो गई थी, लेकिन वे बच गए, उन्हें 1,00,000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह उनके और उनके परिवारों के लिए एक संदेश है कि कठिन समय में राज्य सरकार उनके साथ खड़ी है।
उन्होंने दावा किया कि उनकी जानकारी के अनुसार, एसआईआर से संबंधित दबाव के कारण कुल 39 व्यक्तियों ने आत्महत्या की या गंभीर रूप से बीमार हुए।
इस दौरान, उन्होंने केंद्र सरकार से यह भी अपील की कि वह विवादास्पद मुद्दों पर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ संवाद स्थापित करे, न कि एकतरफा आदेश जारी करे, जैसे कि स्वतंत्रता-पूर्व काल में ब्रिटिश शासकों द्वारा किया जाता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी जबरदस्ती का निर्देश न दें, जिससे आम लोगों को परेशानी हो। फिर भी, अगर ऐसा किया जाता है, तो राज्य सरकार यथासंभव आम लोगों की मदद करेगी। हम केवल लोगों, लोकतंत्र और भारतीय संविधान के प्रति जवाबदेह हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में कभी भी सांप्रदायिक राजनीति के लिए स्थान नहीं था और न ही होगा। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा सेक्युलर राजनीति में विश्वास रखती हूं और भविष्य में भी इसी मार्ग पर चलने का संकल्प लेती हूं।