क्या ममता बनर्जी ने खुद उठाया था घुसपैठियों का मुद्दा, आज विरोध क्यों : सुधांशु त्रिवेदी?
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर एक सामान्य चुनाव प्रक्रिया है।
- फर्जी वोटिंग लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- ममता बनर्जी ने घुसपैठियों का मुद्दा पहले उठाया था।
- भाजपा और विपक्ष के बीच का संघर्ष गहरा होता जा रहा है।
- धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा भारत में राजनीतिक विवाद का कारण बना है।
लखनऊ, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर के मुद्दे पर चल रही राजनीति पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के लिए एसआईआर सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आवश्यकता की बात की है।
पत्रकारों से बातचीत में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मतदाता सूची में यह स्पष्ट होना चाहिए कि वास्तविक मतदाता ही वोट डाल सकें। कोई भी फर्जी व्यक्ति वोट नहीं दे सके। यदि कोई यह कहता है कि फर्जी वोटरों की पहचान नहीं होनी चाहिए, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
उन्होंने आगे कहा कि एसआईआर हो रहा है। बीएलओ के साथ पार्टियों के बीएलए भी हैं। पहले विपक्ष के लोग ईवीएम में खराबी की बात करते थे, लेकिन अब उन्होंने ईवीएम का मुद्दा छोड़कर एसआईआर पर आ गए हैं। इसका अर्थ है कि उन्होंने माना कि ईवीएम हैक होने का आरोप गलत था। यह एक सोची-समझी खतरनाक साजिश का हिस्सा है, जो भारत की हर व्यवस्था पर भ्रम पैदा करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि राफेल, सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयरस्ट्राइक, ऑपरेशन सिंदूर, एलआईसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सेबी, कोविड वैक्सीन, और राम मंदिर के मुहूर्त को लेकर विपक्ष ने देश में भ्रम फैलाया।
एसआईआर के बहाने सीएए लागू करने से जुड़े ममता बनर्जी के बयान पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी ने 4 अगस्त 2005 को भारत की संसद में बांग्लादेशी घुसपैठियों का विषय 14 मिनट में 22 बार उठाया था। जब उन्होंने देखा कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है, तो उन्होंने पीठासीन सभापति की तरफ फाइल फेंक दी थी। आज उन्हें क्या हो गया है? आज वह जांच क्यों नहीं होने देना चाहती हैं?
उन्होंने कहा कि असम के तत्कालीन राज्यपाल ने साल 2005 में कहा था कि प्रतिदिन पांच हजार लोग भारत में घुसपैठ करते हैं। आपने देखा होगा कि बांग्लादेश जाने के लिए सीमा पर लाइन लगी हुई थी। उनमें से कई लोगों ने स्वीकार किया कि वे कई बार यहां वोट डाल चुके हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एक तरफ हम धर्म-ध्वजा संरक्षक हैं, दूसरी तरफ विपक्ष घुसपैठिया संरक्षक है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुछ लोग प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे और नक्सलियों का गुणगान करने लगे। सेक्युलरिज्म का चोला ओढ़कर ये तथाकथित बाबरी मस्जिद की बात करने वालों से पूछना चाहता हूं कि कोर्ट ने उसे विवादित ढांचा कहा। यह 'बाबरी मस्जिद' शब्द कहां से आया? ब्रिटिश समय के दौरान हुई पहली एफआईआर में उसे 'मस्जिद-ए-जन्मस्थान' लिखा गया था। अगर वह मस्जिद थी, तो जन्मस्थान किसका था? इनके दिमाग में बाबरी के अरमान हैं। यह दर्शाता है कि टीएमसी और विपक्ष के मन में कट्टरपंथी वोटों का समझौता है। ये कहते हैं कि भारत में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। ऐसा नहीं है, बल्कि छद्म धर्मनिरपेक्षता की वजह से भारत का भविष्य खतरे में है।