क्या नए लेबर कोड पर खड़गे के आरोपों का मांडविया ने दिया जवाब?
सारांश
Key Takeaways
- नए लेबर कोड में श्रमिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
- कर्मचारियों के लिए नियुक्ति पत्र अनिवार्य किया गया।
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सुरक्षा का दायरा बढ़ा।
- री-स्किलिंग फंड की स्थापना की गई।
- हड़ताल के लिए 14 दिन का नोटिस अनिवार्य है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नए लेबर कोड के संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयानों पर केंद्रीय श्रम और रोजगार तथा खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
केंद्रीय मंत्री ने खड़गे के आरोपों को “भ्रामक और असत्य” कहा और बताया कि मोदी सरकार द्वारा किए गए श्रम सुधार मजदूरों की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन को मजबूत करने के लिए हैं।
मांडविया ने एक्स पर लिखा, “खड़गे जी, लेबर कोड के संबंध में आपका जो भी बयान है, वह ग़लत और भ्रामक है। ये तथ्य आपके झूठ को उजागर करते हैं।”
उन्होंने कहा कि विपक्ष जानबूझकर डर फैला रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि कर्मचारियों को अनिवार्य एक महीने की नोटिस अवधि और रिट्रेंचमेंट मुआवजा पहले की तरह जारी रहेगा। पहली बार री-स्किलिंग फंड की स्थापना की गई है, जिस पर कांग्रेस ने कभी ध्यान नहीं दिया। थ्रेशोल्ड बढ़ाने से नियुक्ति में वृद्धि होगी, ठेकेदारी पर निर्भरता कम होगी और स्थायी और सुरक्षित नौकरियां बढ़ेंगी, जिससे सामाजिक सुरक्षा और वेतन सुरक्षा में सुधार होगा। फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के सभी लाभ प्राप्त होंगे। एफटीई को एक वर्ष में ग्रेच्युटी का लाभ देना भी मोदी सरकार का एक नया कदम है।
मांडविया ने बताया कि कर्मचारी 12 घंटे × 4 दिन के विकल्प का चयन कर सकते हैं, जिसके बाद उन्हें 3 दिन का साप्ताहिक अवकाश मिलेगा। साप्ताहिक कार्य घंटे 48 घंटे से अधिक नहीं होंगे। अतिरिक्त कार्य केवल कर्मचारी की सहमति से और डबल ओवरटाइम भुगतान के साथ होगा।
मांडविया ने कहा कि कांग्रेस “60 दिन की प्रतीक्षा अवधि” जैसे झूठ फैला रही है, जबकि हड़ताल के लिए केवल 14 दिन का नोटिस अनिवार्य है। इसका उद्देश्य फ्लैश स्ट्राइक को रोकना है, ताकि मजदूरों की आय और उद्योगों की कार्यप्रणाली प्रभावित न हो। पहली बार ट्रेड यूनियन को कानूनी रूप से ‘नेगोशिएटिंग यूनियन’ का दर्जा दिया गया है, जिससे सामूहिक सौदेबाजी को मजबूती मिलेगी।
मांडविया के अनुसार, नए लेबर कोड में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स सहित 40 करोड़ असंगठित मजदूरों को सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। पत्रकार, बीड़ी मजदूर और अन्य क्षेत्रों के सभी सुरक्षा प्रावधान जस के तस जारी रहेंगे। पहली बार हर कर्मचारी के लिए नियुक्ति पत्र अनिवार्य किया गया है। गंभीर उल्लंघनों पर आपराधिक कार्रवाई जारी रहेगी, जबकि मामूली अपराधों को डी-क्रिमिनलाइज़ किया गया है ताकि त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।
मांडविया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भी कई गैर-एनडीए राज्यों में पहले से ऐसे संशोधन लागू कर चुके हैं। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस, भाजपा से नफरत में इतनी नीचे गिर गई है कि अब वह श्रमिक कल्याण के खिलाफ खड़ी है। यह वास्तव में शर्मनाक है।”