क्या मणिपुर में हिंसा प्रभावित लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- हिंसा के बाद विस्थापित लोगों के लिए राहत शिविरों की स्थापना
- राज्यपाल का आश्वासन
- आर्थिक सहायता का प्रावधान
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व
- पुनर्वास की प्रक्रिया का प्रारंभ
इंफाल, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने बताया कि राज्य में हिंसा के कारण प्रभावित आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि विभिन्न सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मुलाकात की और आईडीपी समुदाय की समस्याओं एवं शिकायतों से उन्हें अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल ने सड़क संपर्क, पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और आवास से जुड़ी महत्वपूर्ण चिंताओं को उठाया।
अधिकारी ने कहा, “राज्यपाल ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि इन मुद्दों को संबंधित अधिकारियों के साथ पहले ही उठाया जा चुका है और इन्हें जल्द से जल्द समाधान के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।” बैठक में गृह आयुक्त एन. अशोक कुमार और राज्यपाल के सचिव सुमंत सिंह भी उपस्थित थे।
इस बीच, मणिपुर के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने कहा कि सरकार का मुख्य ध्यान हिंसा प्रभावित आईडीपी को शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से उनके गांवों में पुनः बसाने पर है।
कांगपोकपी जिले में राहत शिविरों के दौरे के दौरान गोयल ने आश्वस्त किया कि राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बल लगातार काम कर रहे हैं ताकि सभी विस्थापित लोग सुरक्षित रूप से अपने घर लौट सकें। उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे लोगों से किसी भी तरह की सुविधा से जुड़ी शिकायतें सीधे उन्हें बताने का आग्रह भी किया।
स्थिति के सुधार के साथ, मणिपुर सरकार ने विस्थापित लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल दिसंबर तक अधिकांश विस्थापित लोगों को उनके मूल गांवों में वापस बसाने का लक्ष्य रखा गया है।
हालांकि, दिसंबर 2025 के बाद भी तेंग्नौपाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों से विस्थापित करीब 9,000 से 10,000 लोग अपने मूल गांवों में वापस नहीं लौट पाएंगे। ऐसे लोगों को प्रीफैब्रिकेटेड मकानों में बसाया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि जिन परिवारों के घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, उन्हें 3.03 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जबकि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों वाले परिवारों को एकमुश्त राशि दी जाएगी।
राज्य सरकार ने इम्फाल घाटी और पहाड़ी इलाकों में 300 से अधिक राहत शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें दो साल पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद विस्थापित हुए 57,000 से ज्यादा पुरुष, महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं।