क्या पद्म श्री सम्मानित मणिपुरी शास्त्रीय नृत्यांगना सूर्यमुखी देवी का निधन हो गया?

सारांश
Key Takeaways
- पद्म श्री से सम्मानित थियाम सूर्यमुखी देवी का निधन मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक बड़ा नुकसान है।
- उन्होंने अपने करियर में मणिपुरी नृत्य को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया।
- उनकी कला और समर्पण ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है।
- सूर्यमुखी देवी का योगदान केवल नृत्य तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सांस्कृतिक संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि कला और संस्कृति को सहेजना कितना आवश्यक है।
इंफाल, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध मणिपुरी शास्त्रीय नृत्यांगना और पद्म श्री से सम्मानित थियाम सूर्यमुखी देवी ने लंबी बीमारी के बाद रविवार को इम्फाल पश्चिम जिले के कैशमपट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
सूर्यमुखी देवी 85 वर्ष की थीं और अविवाहित थीं। इस वर्ष 113 व्यक्तियों को पद्म श्री सम्मान प्रदान किया गया था, जिसमें वह भी शामिल थीं। स्वास्थ्य की खराबी के कारण वह 27 मई 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शामिल नहीं हो सकी थीं।
मणिपुर के मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने शनिवार को इम्फाल स्थित सूर्यमुखी देवी के आवास पर जाकर औपचारिक रूप से उन्हें पद्म श्री पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र सौंपा था।
इम्फाल पश्चिम जिले के कैशमपट लेइमाजम लेइकाई में जन्मी और पली-बढ़ीं सूर्यमुखी देवी ने हाल ही में मीडिया को बताया था कि उनके परिवार के सदस्यों और स्थानीय बुजुर्गों के प्रभाव के कारण ही शास्त्रीय नृत्य के प्रति उनमें जुनून विकसित हुआ।
तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सूर्यमुखी देवी बहुत छोटी उम्र में आर्यन थिएटर में बाल कलाकार के रूप में शामिल हुई थीं। उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में मणिपुरी सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया था।
इसके बाद उन्होंने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में प्रस्तुति दी।
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, "मणिपुरी शास्त्रीय नृत्य की एक महान हस्ती पद्म श्री थियाम सूर्यमुखी देवी के निधन से बहुत दुख हुआ। उनके निधन से हमने मणिपुर के सांस्कृतिक परिदृश्य का एक अमूल्य रत्न खो दिया। उनकी सुंदर कलात्मकता और हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रति उनका समर्पण हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार, प्रशंसकों और सांस्कृतिक बिरादरी के प्रति हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।"
थियाम सूर्यमुखी देवी का जन्म 1940 में हुआ था। उनकी सांस्कृतिक यात्रा पद्मा मेइशनम अमुबी जैसे गुरुओं के संरक्षण में प्रारंभ हुई थी।
बाद में वह जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी (जेएनएमडीए) में शामिल हो गईं और राष्ट्रीय के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर मणिपुरी नृत्य को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरीं।
पांच दशकों से भी लंबे करियर में सूर्यमुखी देवी ने रास लीला, लाई हरोबा जैसे शास्त्रीय रूपों और आदिवासी लोक परंपराओं के माध्यम से मणिपुरी नृत्य को समृद्ध किया।