क्या सावन माह का शुक्ल पक्ष संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन है?

सारांश
Key Takeaways
- सावन माह का शुक्ल पक्ष: शुक्रवार से शुरू होता है।
- पूजा विधि: विशेष ध्यान से की जाती है।
- सुख-समृद्धि: व्रत से प्राप्त होती है।
- दक्षिणा: जरूरतमंदों को देना शुभ माना जाता है।
- तामसिक भोजन: वर्जित है।
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। इस दिन सूर्य देव कर्क राशि में और चंद्रमा भी कर्क राशि में रहेंगे। यह दिन संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर १२ बजे से शुरू होकर १२ बजकर ५५ मिनट तक रहेगा और राहुकाल सुबह १० बजकर ४५ मिनट से दोपहर १२ बजकर २८ मिनट तक रहेगा।
शुक्रवार व्रत विशेष रूप से संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस व्रत के माध्यम से सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में शांति प्राप्त होती है। साथ ही यह माना जाता है कि पूजा-पाठ करने से सभी दुखों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से बचाती हैं। इस दिन उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे संबंधित दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से आरंभ किया जा सकता है। सामान्यतः यह व्रत लगातार १६ शुक्रवार तक रखा जाता है, जिसके बाद उद्यापन किया जाता है।
इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, और माता की प्रतिमा तथा एक कलश स्थापित करें। श्री यंत्र की स्थापना भी शुभ होती है (यदि देवी लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं)। माता संतोषी या देवी लक्ष्मी को सिंदूर, अक्षत, फूल और माला चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। माता को फलों का भोग लगाएं। फिर व्रत कथा, चालीसा और मंत्रों का पाठ करें और अंत में आरती करें। पूजा समाप्त करने के बाद एक बड़े पात्र में जल भरकर पूरे घर में जल का छिड़काव करें, और फिर मां तुलसी को जल चढ़ाएं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी के व्रत में नमक और माता संतोषी के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। दिन में एक बार मीठे के साथ किसी एक अनाज का सेवन कर सकते हैं, जैसे खीर-पूरी। इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का सेवन घर के किसी सदस्य को भी नहीं करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।