क्या मसूरी में अवैध निर्माण पर एमडीडीए का बुलडोजर चलेगा? हर सप्ताह होगी 'रैंडम चेकिंग'

सारांश
Key Takeaways
- अवैध निर्माण पर एमडीडीए की सख्त नीति।
- हर सप्ताह रैंडम चेकिंग का आयोजन।
- ऑनलाइन आवासीय नक्शे की उपलब्धता।
- नए हाउसिंग स्कीम का प्रस्ताव।
- वन-टाइम सेटलमेंट पॉलिसी का विचार।
मसूरी, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड की मनमोहक पहाड़ियों में बसा मसूरी शहर अवैध निर्माण की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) अब एक विशेष अभियान शुरू करेगा ताकि अवैध निर्माणों को समाप्त किया जा सके।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने जानकारी दी कि अवैध निर्माणों पर रोक लगाने के लिए हर हफ्ते रैंडम चेकिंग की जाएगी और उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए मसूरी को विभिन्न सेक्टरों में बांट दिया गया है।
उन्होंने बताया कि हर सप्ताह प्राधिकरण की टीम एक सेक्टर में जाकर सभी निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेगी। इस दौरान जो भी अवैध निर्माण पाए जाएंगे, उन पर तत्काल नोटिस और सीलिंग के साथ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि जिन इमारतों को पहले सील किया गया है, यदि वहां फिर से निर्माण शुरू होता है, तो संबंधित व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए लोगों को निर्माण कार्य कराना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, एमडीडीए ने घर बनाने की प्रक्रिया को भी सरल बना दिया है। प्राधिकरण ने अपनी वेबसाइट पर पूर्व-स्वीकृत आवासीय नक्शे अपलोड किए हैं, जिससे नागरिक सीधे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण बिना किसी दलाल के नक्शे की जल्दी मंजूरी मिल जाएगी। एमडीडीए ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे सीधे प्राधिकरण की वेबसाइट का उपयोग करें ताकि प्रक्रिया वैध और सरल हो सके।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष ने कहा कि बारिश के कारण सड़कों और फुटपाथों को हुए नुकसान की मरम्मत का कार्य जल्द शुरू होगा। जीरो पॉइंट पर बहुप्रतीक्षित पार्किंग का निर्माण कार्य भी जल्द शुरू होगा, जिसकी सभी औपचारिकताएँ पूरी हो चुकी हैं।
तिवारी ने बताया कि 1998 के बाद मसूरी में कोई नई आवासीय योजना नहीं लाई गई है, लेकिन अब लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत नई कॉलोनियों के निर्माण का प्रस्ताव है। इसके अलावा, प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हुसैनगंज में एक ईको पार्क का निर्माण भी प्रस्तावित है, जिसका शिलान्यास हो चुका है।
मसूरी में बढ़ती जनसंख्या और अनियोजित निर्माणों को ध्यान में रखते हुए एक वन-टाइम सेटलमेंट पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जो अभी विचाराधीन है।