क्या वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन विवाद सहन किया जा सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश सूची पर विवाद है।
- 42 छात्रों का एक ही समुदाय से होना चिंता का विषय है।
- समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
- सरकार को इस मामले में सक्रियता से कदम उठाने की जरूरत है।
- शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत की आवश्यकता है।
जम्मू, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज की हालिया प्रवेश सूची ने विवाद को जन्म दिया है। शिवसेना (यूबीटी) ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा है कि चिंगारी सुलग रही है, जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
जम्मू शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि इस कॉलेज द्वारा जारी प्रवेश सूची में 50 छात्रों के नाम शामिल हैं, जिनमें से 42 एक समुदाय से हैं जबकि केवल 8 छात्र हिंदू और सिख समुदाय से हैं। यह मुद्दा जम्मू-कश्मीर में विवाद का कारण बन रहा है। हम उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को इस मामले में सुझाव देना चाहते हैं।
मनीष साहनी ने कहा कि हम किसी समुदाय के छात्रों के खिलाफ नहीं हैं और न ही उनका भविष्य अंधकार में देखना चाहते हैं। हम 2008 की तरह जम्मू को आंदोलन की राह पर धकेलना नहीं चाहते, लेकिन माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में हिंदुओं को नजरअंदाज कर किसी अन्य धर्म के लोगों को प्रवेश देना, यह सहन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और उपराज्यपाल भी भाजपा के नेता रहे हैं। इसके बावजूद, यह सब देख रहे हैं और खामोश हैं। भाजपा हिंदुओं के हित की बात करती है, लेकिन पिछले 11 सालों में ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जहाँ हिंदुओं को प्राथमिकता मिली हो। मुस्लिम समुदाय के लिए अलग कॉलेज हैं, और सिखों के लिए भी व्यवस्था है।
उन्होंने अपील की कि चिंगारी आग का रूप लेने से पहले इसका समाधान निकाला जाए। हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल एक साथ बैठकर इस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकालें। हमारी इच्छा है कि अन्य कॉलेजों में पढ़ने वाले हिंदू छात्रों को यहाँ भेजा जाए और यहाँ के अन्य समुदाय के छात्रों को वहाँ भेज दिया जाए। इससे इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकता है।