क्या इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता मौलाना कौसर हयात ने राहुल गांधी और विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया?

सारांश
Key Takeaways
- मुस्लिम मुद्दों पर विपक्ष की चुप्पी
- कांग्रेस पार्टी का रवैया
- सरकारी संस्थानों में मुसलमानों की कमी
- आरक्षण की मांग
- राजनीतिक दलों का वोट बैंक के रूप में मुसलमानों का उपयोग
मुरादाबाद, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना सैयद कौसर हयात खान ने राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि मुसलमानों के असली मुद्दों पर ये पार्टियां हमेशा चुप रही हैं और केवल वोट हासिल करने के लिए मुस्लिम समाज का उपयोग किया गया है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ विशेष बातचीत में कहा, "विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी ने मुसलमानों की आवाज़ उठाने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल पर जब संसद में चर्चा हो रही थी, तब भी राहुल गांधी सदन में उपस्थित नहीं थे।"
मौलाना कौसर का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी मुसलमानों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेती और कुछ मुसलमान नेताओं को केवल "शो बॉय" बनाकर पेश करती है, जैसे आजादी के समय मौलाना अबुल कलाम आजाद को किया गया था। आज भी यही स्थिति है, कुछ मुसलमानों को छोड़कर, जो मैदान में आकर मुसलमानों की बात करते हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी जिम्मेदारी के साथ मुसलमानों के लिए कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि कुछ मुस्लिम सांसदों को कांग्रेस पार्टी ने इसलिए आगे रखा है ताकि वे भविष्य में मंत्री बन सकें, लेकिन पार्टी मुसलमानों के साथ कभी खड़ी नहीं रही।
मौलाना कौसर ने यह भी कहा कि आज देश में जिस तरह का तांडव हिंदू संगठनों द्वारा हो रहा है, उसकी जड़ें पूर्व की सरकारों के समय बोई गई थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले की सरकारों में मुसलमानों को सरकारी संस्थानों और नौकरियों से योजनाबद्ध तरीके से बाहर किया गया, जिससे आज स्थिति यह है कि कई महत्वपूर्ण विभागों, जैसे पुलिस, फौज, और कचहरी में मुसलमानों की भागीदारी लगभग शून्य हो गई है।
मौलाना कौसर ने यह भी कहा कि यदि पूर्व की सरकारें, चाहे कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी, ने मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में सरकारी तंत्र में प्रतिनिधित्व दिया होता, तो आज देश में सामाजिक संतुलन होता और ऐसा अराजक माहौल नहीं बनता।
उन्होंने यह मांग भी रखी कि देश में मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुसार हर सरकारी विभाग में आरक्षण और प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। तभी देश में स्थायी अमन और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है। अन्यथा, मौजूदा असंतुलन और अराजकता यूं ही बनी रहेगी।
मौलाना कौसर हयात ने स्पष्ट कहा कि आज की सत्ता में बैठे लोग ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं और विपक्ष ने भी मुसलमानों के साथ न्याय नहीं किया है। केवल वोट लेने के लिए मुसलमानों का उपयोग किया जा रहा है, जबकि उनके अधिकारों और सुरक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती।
मौलाना सैयद कौसर हयात ने कहा कि केवल कांग्रेसी ही नहीं, हर एक पार्टी, चाहे वह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी हो या कोई अन्य राजनीतिक दल, इन लोगों को केवल मुसलमानों का वोट चाहिए, और मुसलमानों के किसी मामले को लेकर यह पार्टियां आज भी संजीदा नहीं हैं।