क्या मौलाना मदनी देश के माहौल को खराब करना चाहते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- जिहाद का संदर्भ समाज में विभाजन कर सकता है।
- भारत में जिहाद की कोई आवश्यकता नहीं है।
- मौलाना मदनी के बयानों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
बरेली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के जिहाद से संबंधित बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जिहाद की चर्चा करना समाज में विभाजन उत्पन्न करना और देश को कमजोर करना है।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मौलाना महमूद मदनी बार-बार जिहाद के विषय पर चर्चा कर रहे हैं, वे किस प्रकार का और किस तरह का जिहाद चाहते हैं? वे मुसलमानों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। भारत में न तो जिहाद की आवश्यकता है और न ही हिजरत की।"
मौलाना महमूद मदनी पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि शरीयत के अनुसार यदि बात की जाए तो भारत दार-उस्सलाम है। जिहाद के लिए कई शर्तें होती हैं। जब इस्लाम के अरकान पर रोक हो, मजहब पर प्रतिबंध हो और मस्जिदों पर ताले लगे हों, तभी जिहाद या हिजरत करने की बात की जाती है।
उन्होंने आगे कहा, "मौलाना मदनी देश के माहौल को ख़राब करना चाहते हैं। स्कूलों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की मांग और भी खतरनाक है। मौलाना मदनी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने यहां तालिबान के मंत्री का स्वागत करते हैं। ये तालिबान कौन हैं? यही वो लोग हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित किया गया था।"
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि उनके बयानों और क्रियाकलापों से उनकी मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। हम उनके बयानों की निंदा करते हैं। ये लोग देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में यही लोग गद्दार हैं। हमें अपने वतन से प्रेम करना सिखाया गया है। भारत के 80 प्रतिशत मुसलमान मौलाना मदनी को अपना नेतृत्व नहीं मानते।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान में कहा कि जवाहरलाल नेहरू सार्वजनिक धन का उपयोग करके बाबरी मस्जिद (16वीं शताब्दी की ध्वस्त मुगल मस्जिद) को पुनर्स्थापित करना चाहते थे। इस पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का कहना है कि रक्षा मंत्री ने जो कहा है, वह सही है। उन्होंने जो कहा, वह बातचीत के बाद कहा है। बातचीत एक ऐसा माध्यम है जिससे बड़े-बड़े मुद्दे हल हो जाते हैं।