क्या राहुल गांधी के बयान में कोई सच्चाई है? मायावती का तंज

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने पिछड़े समाज से माफी मांगी।
- मायावती ने इसे स्वार्थी राजनीति कहा।
- कांग्रेस ने पिछड़े वर्गों के लिए कम काम किया।
- बीएसपी ने हमेशा इन वर्गों के हितों की रक्षा की है।
- दलित और आदिवासी वर्गों को अपनी आवाज उठाने की जरूरत है।
लखनऊ, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पिछड़े समाज से ‘माफी’ मांगते हुए स्वीकार किया कि कांग्रेस और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से, पिछड़े वर्गों के लिए उतना काम नहीं किया जितना किया जाना चाहिए था। इसे उन्होंने अपनी गलती माना है। इस पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का यह स्वीकार करना कि पिछड़े समाज को उनका हक दिलाने में कांग्रेस प्रभावी नहीं रही, यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि दिल में कुछ और, जुबान पर कुछ और जैसी स्वार्थी राजनीति का परिचायक है।
मायावती ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा यह स्वीकार करना कि देश के विशाल आबादी वाले अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) समाज के लोगों की राजनीतिक व आर्थिक आकांक्षा व आरक्षण सहित उन्हें उनका संवैधानिक हक दिलाने में कांग्रेस पार्टी सच्ची नहीं रही है, यह कोई नई बात नहीं है। यह दिल में कुछ और जुबान पर कुछ की स्वार्थ की राजनीति का उदाहरण है। वास्तव में उनका यह बयान उसी तरह से जगजाहिर है जैसा कि देश के करोड़ों शोषित, वंचित व उपेक्षित एससी/एसटी समाज के प्रति कांग्रेस का रवैया रहा है। जिसके कारण इन वर्गों के लोगों को अंततः अपनी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) बनानी पड़ी है।"
उन्होंने आगे लिखा, "कुल मिलाकर इससे कांग्रेस पार्टी यूपी सहित देश के प्रमुख राज्यों की सत्ता से लगातार बाहर होती जा रही है। अब जब सत्ता हाथ से निकल गई है, तब इन वर्गों की याद आ रही है, जिसे इनकी नीयत व नीति में हमेशा खोट रहने के कारण घड़ियाली आंसू नहीं तो और क्या कहा जाएगा। वर्तमान में बीजेपी के एनडीए का भी इन वर्गों के प्रति दोहरा चरित्र दिखाई दे रहा है।"
मायावती ने कहा, "कितना भी कहें, इन जातिवादी पार्टियों ने मिलकर एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को निष्क्रिय बना दिया है। इन जातिवादी पार्टियों का सदैव एक ही थैली के चट्टे-बट्टे रहना, दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़ों को सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तौर पर गुलाम बनाए रखने का प्रयास है। जबकि अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी सच्ची हितैषी रही है।"
उन्होंने अंत में लिखा, "देश के बहुजनों का हित केवल बीएसपी की आयरन गारंटी में है। अतः विशेषकर दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लोग कांग्रेस, सपा आदि विरोधी पार्टियों के बहकावे में न आएं, यही उनके सुख, शांति व समृद्धि के लिए बेहतर है।"