क्या मीनाताई ठाकरे की प्रतिमा पर रंग फेंकने वालों पर हो सख्त कार्रवाई?

सारांश
Key Takeaways
- मीनाताई ठाकरे की प्रतिमा पर रंग फेंकने की घटना की कड़ी निंदा।
- आस्था का अपमान, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग।
- सरकार को सीसीटीवी के ज़माने में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
- पीएम मोदी के जन्मदिन पर शुभकामनाएं देना स्वाभाविक है।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी के लिए मान्य होगा।
मुंबई, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मां मीनाताई ठाकरे की प्रतिमा पर रंग फेंकने की घटना पर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे लाखों लोगों की आस्था का अपमान बताया। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी और उन्हें कड़ी सजा देने की मांग की।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में आनंद दुबे ने कहा कि सीसीटीवी के युग में सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि किसी की मां का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आरोपियों को पकड़कर कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
उन्होंने पीएम मोदी को 75वें जन्मदिन पर मिली शुभकामनाओं का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का पद देश का सर्वोच्च और सम्मानजनक पद है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर सभी वर्गों के लोगों का शुभकामनाएं देना स्वाभाविक है।
हालांकि, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री ने 'अच्छे दिन' लाए हैं, महंगाई और बेरोजगारी को कम किया है, किसानों को सुविधाएं दी हैं और करदाताओं को राहत दी है। आनंद दुबे ने कहा कि भले ही निवेश आ रहा हो, लेकिन आम जनता के जीवन में सुधार दिखाई देना चाहिए।
वक्फ कानून पर हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले पर उन्होंने कहा कि यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। सभी पक्षों को धैर्यपूर्वक फैसले का इंतजार करना चाहिए। उन्हें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा करेगी।
पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार कांग्रेस द्वारा जारी एआई वीडियो पर उन्होंने कहा कि किसी का भी अपमान नहीं होना चाहिए, विशेषकर उद्धव ठाकरे की मां का। उन्होंने कांग्रेस द्वारा विवादास्पद वीडियो जारी करने की निंदा की और कहा कि इसे जारी नहीं करना चाहिए था।
आनंद दुबे ने भाजपा नेताओं से अपील की कि उन्हें भी किसी पर बयान देने से पहले सोचना चाहिए।