क्या बीते चार वित्त वर्ष में देश में मोबाइल प्रोडक्शन 146 प्रतिशत बढ़ा?

सारांश
Key Takeaways
- मोबाइल प्रोडक्शन में 146 प्रतिशत की वृद्धि
- निर्यात में 775 प्रतिशत की बढ़ोतरी
- सरकार की पीएलआई योजना का प्रभाव
- स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग का बढ़ावा
- आर्थिक विकास में योगदान
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत में मोबाइल प्रोडक्शन वित्त वर्ष 2020-21 के 2,13,773 करोड़ रुपए से लगभग 146 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 5,25,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यह जानकारी सरकार द्वारा मंगलवार को साझा की गई।
इसी अवधि में, मोबाइल फोन का निर्यात लगभग 775 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 2,00,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में 22,870 करोड़ रुपए था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा जैसी योजनाओं ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है, जिससे उत्पादन में वृद्धि और रोजगार सृजन हुआ है।
पीएलआई योजना ने प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को अपना उत्पादन अन्य देशों से भारत में स्थानांतरित करने के लिए आकर्षित किया है। इससे भारत एक प्रमुख मोबाइल फोन निर्माता देश बन गया है।
पीएलआई योजना की वजह से, फार्मा क्षेत्र में कच्चे माल के आयात में भी बड़ी कमी आई है। पेनिसिलिन-जी जैसे यूनिक इंटरमीडिएट मटेरियल और थोक दवाओं का उत्पादन भारत में किया जा रहा है। साथ ही, चिकित्सा उपकरणों (जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई) के निर्माण में तकनीकी हस्तांतरण हुआ है।
व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई योजना का लक्ष्य भारत में एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट उद्योग के लिए एक मजबूत कंपोनेंट इकोसिस्टम विकसित करना है, जिससे देश वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न हिस्सा बने।
इसकी शुरुआत के बाद, भारत ने एयर कंडीशनर के लिए कंप्रेसर, कॉपर ट्यूब, हीट एक्सचेंजर, मोटर और कंट्रोल असेंबली के साथ-साथ एलईडी चिप पैकेजिंग, ड्राइवर, इंजन, लाइट मैनेजमेंट सिस्टम और एलईडी सेगमेंट में कैपेसिटर के लिए मेटलाइज्ड फिल्म का स्थानीय उत्पादन आरंभ कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इस बदलाव से आयात पर निर्भरता में काफी कमी आ रही है और घरेलू विनिर्माण क्षमताएं मजबूत हो रही हैं।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, सरकार ने मेक इन इंडिया 2.0 पहल भी शुरू की है, जो वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित 27 क्षेत्रों पर केंद्रित है।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली 12 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है।