क्या मोहन भागवत ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया?

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क्या मोहन भागवत ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया?

सारांश

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में दिए अपने भाषण में हिंदुत्व की अवधारणा और हिंदू राष्ट्र की परिभाषा पर चर्चा की। उन्होंने संविधान में हिंदू शब्द की अनुपस्थिति के बावजूद, हिंदू राष्ट्र की विशेषता को स्पष्ट किया। क्या यह भारत का भविष्य है? जानिए उनके विचार।

Key Takeaways

  • हिंदुत्व की अवधारणा संविधान में संक्षेप में है।
  • हिंदू राष्ट्र की परिभाषा पर विचार किया गया।
  • संघ और भाजपा के बीच की दूरी स्पष्ट की गई।
  • संघ का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना है।
  • भागवत ने कहा कि वे अगले जन्म में भी यही कार्य करेंगे।

कोलकाता, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में हिंदुत्व को संक्षेप में परिभाषित किया गया है। भले ही हिंदू शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन सभी धार्मिक आस्थाओं को स्वतंत्रता दी गई है। न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे मूलभूत तत्वों का स्रोत क्या है?

उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि यह सब उन्होंने फ्रांस से नहीं, बल्कि गीता और बुद्ध से लिया है। संसद में अपने भाषण में उन्होंने बंधु भाव को धर्म की परिभाषा बताया। भागवत ने यह सवाल उठाया कि धर्म पर आधारित संविधान किसकी विशेषता है? यह हिंदू राष्ट्र की विशेषता है। भले ही हिंदू शब्द का उपयोग न किया गया हो, लेकिन इसका प्रभाव उनके निर्माण में स्पष्ट है।

उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा बहुत पुरानी है। सूर्य पूर्व में उगता है, लेकिन कब से यह प्रक्रिया चल रही है, यह कोई नहीं जानता। क्या इसके लिए भी संविधान की स्वीकृति की आवश्यकता है? हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है। जो भी व्यक्ति भारत को मातृभूमि मानता है और भारतीय संस्कृति का सम्मान करता है, वह इस धरती पर जीवित रहते हुए भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए रखेगा।

हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर संसद में यह विचार आया कि हिंदू राष्ट्र शब्द को जोड़ा जाना चाहिए, तो वे जोड़ेंगे, और यदि नहीं जोड़ते हैं, तो भी यह कोई समस्या नहीं है। हम हिंदू हैं और हमारा राष्ट्र हिंदू राष्ट्र है। यह सत्य है। यह परिवर्तनशील नहीं है।

भाजपा और आरएसएस के बीच की दूरियों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी समझ में नहीं आता। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से वे हमेशा दूर रहे हैं, लेकिन संघ के स्वयंसेवक हमारे हैं। नरेंद्र भाई और अमित भाई भी हमारे स्वयंसेवक हैं और इसलिए हमारे बीच निकटता है। इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।

संघ को निर्मल संगठन बताते हुए भागवत ने कहा कि जिन लोगों के साथ हमारे संबंध हैं, वे चाहे भाजपा के हों या अन्य दलों के, हमारे साथ जुड़े रहते हैं। यह सब छिपा हुआ नहीं है।

संघ के उद्देश्यों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि समाज को संगठित करना और हिंदू समाज के अंदर संघ का निर्माण करना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने भविष्य में कब यह होगा, इस पर कुछ नहीं कहा।

उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करना निश्चित है। अगर यह कल सुबह तक हो जाए, तो हम कल ही करेंगे; अन्यथा, जब तक यह कार्य पूरा नहीं होता, हम रुकेंगे नहीं। बाधाएं

Point of View

बल्कि देश के हर नागरिक के लिए विचार करने का विषय है। क्या हम एक हिंदू राष्ट्र की परिभाषा को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं? यह विचार हमें एकता और विविधता के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रेरित करता है।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

मोहन भागवत ने हिंदू राष्ट्र के बारे में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, भले ही संविधान में हिंदू शब्द का उल्लेख नहीं है।
क्या संघ और भाजपा के बीच की दूरी सच है?
मोहन भागवत ने कहा कि भाजपा के नेताओं से उनकी दूरी है, लेकिन संघ के स्वयंसेवक उनके निकट हैं।
क्या संघ का लक्ष्य केवल हिंदू समाज को संगठित करना है?
उनका लक्ष्य हिंदू समाज को संगठित करना और समाज के अन्य वर्गों के साथ सहयोग बनाना है।
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