क्या मोहन भागवत मणिपुर में संघ की मजबूत पकड़ के लिए आए हैं?
सारांश
Key Takeaways
- मोहन भागवत का दौरा आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा है।
- यह दौरा मणिपुर में राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
- भागवत विभिन्न समुदायों और संगठनों के नेताओं से बातचीत करेंगे।
- आरएसएस का नॉर्थ-ईस्ट में बढ़ता हुआ प्रभाव।
- संघ की नीतियों को समझने का अवसर।
इंफाल, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर्वे सर्वा मोहन भागवत गुरुवार को मणिपुर के तीन दिवसीय दौरे पर इंफाल पहुँचे। मई 2023 में राज्य में शुरू हुए जातीय तनाव के बाद यह उनका मणिपुर का पहला दौरा है।
आरएसएस के एक राज्य पदाधिकारी ने बताया कि मोहन भागवत का यह दौरा आरएसएस के देशभर में चल रहे शताब्दी समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि असम के चार दिवसीय दौरे के बाद यहाँ पहुँचने पर 70 वर्षीय भागवत का इंफाल हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत किया गया।
आरएसएस प्रमुख भागवत इंफाल ईस्ट जिले के कोंगजेंग लेइकाई में स्थित आरएसएस सेंटर भास्कर प्रभा पहुँचे। राज्य पदाधिकारी के अनुसार, मोहन भागवत अपने तीन दिन के प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं और संगठन के सदस्यों के साथ कई बंद कमरे की बैठकों में भाग लेंगे।
इसके अतिरिक्त, वह मणिपुर घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों के उद्यमियों, आदिवासी समुदायों, नागरिक समाज संगठनों, प्रमुख नागरिकों और राज्य के युवा संगठनों के नेताओं से भी संवाद करेंगे। मणिपुर में नई सरकार गठन के प्रयासों के बीच, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का दौरा राज्य में एक नया मोड़ ला सकता है।
3 मई 2023 को मेइतेई और कुकी-ज़ो आदिवासी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद यह उनका पहला दौरा है। आरएसएस प्रमुख भागवत ने आखिरी बार 2022 में राज्य का दौरा किया था।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भागवत रिलीफ कैंप जाएंगे या नहीं, जहाँ पिछले दो वर्षों से अधिक समय से हिंसा से प्रभावित हजारों बेघर लोग रह रहे हैं। मेइतेई समुदाय को शेड्यूल्ड ट्राइब का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित 'ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च' के बाद हुई जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए और 1,500 घायल हुए। वहीं, 70,000 से अधिक लोग बेघर हो गए। एन. बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद 13 फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है।
आरएसएस के शताब्दी समारोह के तहत मोहन भागवत 17 नवंबर को असम के चार दिन के दौरे पर गुवाहाटी पहुँचे थे। यह दौरा संगठन के 100वें वर्ष के उपलक्ष्य में चल रहे कार्यक्रम का अहम हिस्सा है। गुवाहाटी में उन्होंने प्रमुख नागरिकों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, संपादकों, लेखकों और उद्यमियों से बातचीत की।
मोहन भागवत का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब आरएसएस नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। पिछले एक दशक में संगठन की गतिविधियाँ इस क्षेत्र में काफी बढ़ी हैं। संघ के शताब्दी समारोह को संगठन अपनी सोच को मजबूत करने और समाज के बड़े हिस्से से जुड़ने का अवसर मानता है।
गुवाहाटी दौरे के दौरान मोहन भागवत ने असम और नॉर्थ-ईस्ट के युवाओं से अपील की कि वे पहले से बनी सोच या गलत प्रचार के आधार पर आरएसएस के बारे में राय न बनाएं। उन्होंने युवाओं से संघ को निकटता से देखने और समझने की भी बात की।
भागवत ने संघ के सिद्धांतों, आदर्शों और कार्यप्रणाली पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के 100 से अधिक युवा प्रतिनिधियों के सामने संगठन के बारे में हुई चर्चाओं पर भी ज़ोर दिया।