क्या एमपी में विद्यार्थियों की कलम गरीबों की आवाज बन रही है? कलेक्टर की पहल से बदली तस्वीर

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क्या एमपी में विद्यार्थियों की कलम गरीबों की आवाज बन रही है? कलेक्टर की पहल से बदली तस्वीर

सारांश

मध्य प्रदेश के नीमच में, छात्रों ने एक नई भूमिका निभाई है। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की पहल ने उन्हें समाज की समस्याओं को समझने और उनके समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर दिया है। यह मात्र शिक्षा नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की ओर कदम बढ़ाना है।

Key Takeaways

  • विद्यार्थियों ने समाजिक मुद्दों को समझने का अवसर पाया।
  • कलेक्टर की पहल ने शिक्षा और सेवा का संगम किया है।
  • आवेदनों की प्रक्रिया अब निःशुल्क हो गई है।
  • छात्रों का ज्ञान और लेखन कौशल बढ़ रहा है।
  • समाज की समस्याओं के प्रति छात्रों में जागरूकता बढ़ी है।

नीमच, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के नीमच जिले में अब विद्यार्थी केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वे समाज की पीड़ा को भी पहचान रहे हैं और उसे शब्दों में ढालकर प्रशासन के पास पहुंचा रहे हैं। जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की एक अभिनव पहल ने छात्रों को सामाजिक सरोकार से जोड़ा है।

इस पहल के अंतर्गत स्कूली छात्र अब हर मंगलवार जनसुनवाई में आने वाले जरूरतमंद आवेदकों के लिए आवेदन लिखते हैं, जिससे न केवल पीड़ितों की मदद हो रही है, बल्कि छात्रों का भी सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान बढ़ रहा है।

नीमच के कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की यह छोटी सी सोच अब शिक्षा और सेवा का एक बड़ा माध्यम बन चुकी है। नवंबर 2024 से शुरू की गई इस पहल में सरकारी और निजी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जनसुनवाई में बैठने का अवसर मिलता है, ताकि वे जरूरतमंद, अशिक्षित या असहाय लोगों के आवेदन लिख सकें।

इससे पहले, फरियादी आवेदन टाइपिंग कराने के लिए 200 से 400 रुपए तक खर्च करते थे, लेकिन अब यह कार्य निःशुल्क हो रहा है। यह न केवल आर्थिक रूप से गरीबों को राहत दे रहा है, बल्कि छात्रों के लिए भी यह अनुभव जुटाने का एक माध्यम बन गया है।

छात्रों को अब यह समझ में आने लगा है कि एक आवेदन केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि किसी की पीड़ा, उम्मीद और अधिकार की मांग है। वे जान रहे हैं कि किस प्रकार शासकीय योजनाएं आम जन तक पहुंचती हैं और प्रशासन उस पर कार्यवाही करता है।

उत्कृष्ट विद्यालय नीमच की शिक्षिका कविता सेन ने बताया, "हर मंगलवार को पांच बच्चों को यहां जनसुनवाई में लेकर आती हूं। यहां शासन ने बेहतर सुविधा रखी है। यहां आने वाले फरियादी में अधिकांश अशिक्षित होते हैं। उन्हें आवेदन लिखने में समस्या आती है। ऐसे में यहां बच्चे उनके आवेदन फ्री में लिखते हैं। इससे बच्चों का भी व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है और लेखन शैली विकसित होती है।"

छात्र विनायक शर्मा ने बताया, "हमें यहां हर मंगलवार को बुलाया जाता है। हम फरियादियों की मदद करते हैं और कोई शुल्क नहीं लेते हैं। यहां काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। समाज की समस्याओं से हम अवगत हो रहे हैं, जो आगे भी हमारी मदद करेंगी। हम किसी भी प्रकार का आवेदन लिख सकते हैं।"

नीमच के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीआरपीएफ के छात्र मो. उस्मान अब्बासी ने बताया, "मैं पिछले एक साल से आवेदन लिखने आ रहा हूं। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने बहुत अच्छी पहल की है। ग्रामीणों को होने वाली समस्याओं का हम समाधान करते हैं। लोग अलग-अलग समस्या लेकर आते हैं। हम आवेदन लिखकर उनकी मदद करते हैं। उन्हें हम बताते हैं, कैसे टोकन लेना है, कहां जाना है और कहां आवेदन देना है।"

Point of View

जो न केवल छात्रों को सामाजिक मुद्दों से जोड़ता है, बल्कि गरीबों की आवाज को भी प्रशासन तक पहुंचाने का कार्य करता है। इससे छात्रों में सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास होता है और वे अपने भविष्य में एक बेहतर नागरिक बनने की दिशा में अग्रसर होते हैं।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

यह पहल कब शुरू हुई?
यह पहल नवंबर 2024 से प्रारंभ की गई थी।
छात्रों को इस पहल में क्या भूमिका मिलती है?
छात्र जनसुनवाई में जरूरतमंदों के लिए आवेदन लिखते हैं।
क्या यह सेवा निःशुल्क है?
हाँ, यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है।
कलेक्टर हिमांशु चंद्रा का इस पहल में क्या योगदान है?
कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने इस पहल को शुरू किया है, जिससे छात्रों को सामाजिक मुद्दों से जोड़ा जा रहा है।
इससे छात्रों को क्या लाभ होता है?
छात्रों का सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है।