क्या महिला माओवादी ने मुलुगु के एसपी के सामने आत्मसमर्पण किया?

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क्या महिला माओवादी ने मुलुगु के एसपी के सामने आत्मसमर्पण किया?

सारांश

तेलंगाना के मुलुगु में मदवी सोमी ने माओवादी जीवन छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण के बाद उसे सरकार से सहायता मिली है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि माओवादी अब हिंसा छोड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

Key Takeaways

  • मदवी सोमी ने माओवादी जीवन को छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
  • तेलंगाना सरकार ने आत्मसमर्पण करने वालों के लिए विशेष पुनर्वास नीति लागू की है।
  • इस वर्ष 85 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं।
  • पुलिस का अभियान लोगों को हिंसा से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रहा है।
  • माओवादी परिवारों से संवाद कर सरकार उन्हें पुनर्वास में मदद कर रही है।

मुलुगु (तेलंगाना), 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना के मुलुगु जिले में एक और माओवादी ने हथियार डाल दिए हैं।

छत्तीसगढ़ की निवासी 30 वर्षीय मदवी सोमी ने सोमवार को मुलुगु जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. शबरीश पी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। वह प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) पार्टी की द्वितीय सीआरसी में पीपीसीएम पद पर कार्यरत थी। मूलरूप से सुकमा जिले के कोंड्रे गांव की निवासी सोमी ने बताया कि उसने शुरू में शांतिपूर्ण जीवन की चाह में माओवादी का रास्ता अपनाया था, लेकिन अब वह हिंसा को छोड़कर अपने परिवार के साथ रहना चाहती है।

मुलुगु पुलिस का जागरूकता अभियान 'पोरु कन्ना ऊरु मिन्ना हमारे गांव वापस आओ' और तेलंगाना सरकार की सहानुभूतिपूर्ण पुनर्वास नीति का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। आत्मसमर्पण करते ही सोमी को तेलंगाना सरकार की नीति के तहत नकद इनाम दिया गया। एसपी डॉ. शबरीश ने मौके पर ही पुनर्वास के लिए 25 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की। इसके अलावा उसे चिकित्सा सुविधाएं, वित्तीय सहायता और समाज में पुनर्स्थापना के लिए पूर्ण सरकारी सहायता दी जा रही है।

इस वर्ष जनवरी से अब तक मुलुगु जिले में कुल 85 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं। इनमें तीन डीवीसीएम, बारह एसीएम, अट्ठाइस पार्टी सदस्य, बत्तीस मिलिशिया सदस्य, एक आरपीसी, दो डीएकेएम-केएमएस और सात सीएनएम शामिल हैं। सभी को सरकारी योजना के तहत घर, नौकरी या स्वरोजगार के लिए सहायता मिल रही है।

वहीं, पुलिस का कहना है कि माओवादी अब सत्तारूढ़ पार्टी से निराश हो चुके हैं। जंगल की गुप्त जिंदगी, लगातार डर और परिवार से दूर रहने की मजबूरी ने उन्हें हथियार डालने पर मजबूर कर दिया है। तेलंगाना सरकार ने तुरंत आत्मसमर्पण करने वालों के लिए विशेष नीति बनाई है, जिसमें नकद पुरस्कार के साथ-साथ पूर्ण पुनर्वास पैकेज दिया जाता है।

मुलुगु जिला पुलिस लगातार माओवादी परिवारों से संवाद कर रही है। गांव-गांव जाकर परामर्श दिया जा रहा है और लोगों को समझाया जा रहा है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर गांव लौट आएं। पुलिस का मानना है कि यह अभियान जल्द ही पूरे क्षेत्र को माओवाद मुक्त बनाने में सफल होगा। आज मदवी सोमी का आत्मसमर्पण इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

मुलुगु जिला पुलिस के अनुसार, आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्यों की रफ्तार और विश्वास बढ़ने से माओवादी तेजी से मुख्यधारा में लौट रहे हैं। पुलिस की अपील है कि बाकी बचे साथी भी जल्द से जल्द हथियार डालकर अपने घर-गांव लौट आएं और खुशहाल जीवन प्रारंभ करें।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि कैसे माओवादी अब हिंसा के रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का प्रयास कर रहे हैं। यह केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हमें उम्मीद है कि यह अभियान अन्य माओवादियों को भी प्रेरित करेगा।
NationPress
10/11/2025

Frequently Asked Questions

मदवी सोमी का आत्मसमर्पण कब हुआ?
मदवी सोमी ने 10 नवंबर को आत्मसमर्पण किया।
सोमी को आत्मसमर्पण के बाद क्या सहायता मिली?
सोमी को तेलंगाना सरकार की नीति के तहत नकद इनाम और पुनर्वास सहायता मिली।