क्या मुलुंड में फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ? 5 आरोपी गिरफ्तार

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क्या मुलुंड में फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ? 5 आरोपी गिरफ्तार

सारांश

मुलुंड पुलिस ने एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को ठगने का काम कर रहा था। गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और नकद बरामद हुए हैं। जानिए इस साइबर फ्रॉड की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • मुलुंड पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया।
  • 5 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
  • आरोपी विदेशी नागरिकों को ठगने का कार्य कर रहे थे।
  • पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सामान और नकदी बरामद की।
  • इस मामले में भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मुंबई, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुलुंड पुलिस ने एक बड़े साइबर धोखाधड़ी का खुलासा किया है। मुलुंड पश्चिम के एक आवासीय फ्लैट में छापेमारी करते हुए, पुलिस ने एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया। ये आरोपी अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को धोखा देने का कार्य कर रहे थे। पुलिस ने वहां से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और नकदी बरामद की है।

मुलुंड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक ने बताया कि यह कार्रवाई गोपनीय सूचना के आधार पर की गई थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि मुलुंड कॉलोनी क्षेत्र में कुछ लोग फर्जी कॉल सेंटर चला रहे हैं। आरोपी खुद को अमेरिका में स्थित बैंक या वित्तीय कंपनी का अधिकारी बताकर विदेशी नागरिकों को तुरंत ऋण देने का लालच देते थे। वे प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर पैसे वसूलते थे, लेकिन कभी भी ऋण नहीं देते थे।

जब पुलिस ने फ्लैट पर छापा मारा, तो वहां 27 वर्षीय सागर गुप्ता मुख्य संचालक के रूप में मिला। सागर ने इस धंधे के लिए अभिषेक सिंह, तन्मय धाड़ सिंह, शैलेश शेट्टी और रोहन अंसारी को नियुक्त किया था। सभी आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने 2 लैपटॉप, 11 मोबाइल फोन, 2 राउटर और 76,000 रुपए नकद बरामद किए हैं।

आरोपी कॉल सेंटर में 'लेंडिंग पॉइंट' नामक वित्तीय कंपनी का कर्मचारी बताकर पीड़ितों से संपर्क करते थे। वे ई-सिम कार्ड का उपयोग कर शिकारियों को असुरक्षित वेतन-दिवस ऋण (पे-डे लोन) देने का वादा करते थे। न्यूनतम प्रोसेसिंग शुल्क जमा करने के बाद भी पीड़ितों को कुछ नहीं मिलता। इस प्रकार लाखों रुपए की ठगी की जा चुकी है।

पुलिस ने मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316(2), 318(2), 338, 340(2), 319(2), 336 और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत दर्ज किया है। आरोपी बिना किसी वैध अनुमति के अवैध कॉल सेंटर चला रहे थे।

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने कहा, "यह एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय ठगी का गिरोह था। हमने सभी सबूत जब्त कर लिए हैं। पीड़ितों की संख्या का पता लगाने के लिए डिजिटल फोरेंसिक जांच की जा रही है। विदेशी एजेंसियों से भी संपर्क किया जाएगा।"

Point of View

NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या यह कॉल सेंटर वास्तव में फर्जी था?
हाँ, यह कॉल सेंटर बिना किसी वैध अनुमति के चल रहा था और लोगों को धोखा देने का कार्य कर रहा था।
पुलिस ने कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया?
पुलिस ने इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने छापेमारी में क्या बरामद किया?
पुलिस ने 2 लैपटॉप, 11 मोबाइल फोन, 2 राउटर और 76,000 रुपए नकद बरामद किए हैं।