क्या शुक्रवार व्रत से मां लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र देव की पूजा से दूर होंगे कष्ट और मिलेगी सुख-समृद्धि?
सारांश
Key Takeaways
- शुक्रवार व्रत से मां लक्ष्मी और शुक्र देव की पूजा का महत्व है।
- इस दिन विशेष पूजा विधि से कष्ट दूर होते हैं।
- सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए व्रत का पालन करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनना आवश्यक है।
- मंत्र जाप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि शुक्रवार को विडाल योग का संयोग बनता है। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा १५ नवंबर सुबह ३ बजकर ५१ मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे, इसके बाद कन्या राशि में गोचर करेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह ११ बजकर ४४ मिनट से लेकर दोपहर १२ बजकर २७ मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह १० बजकर ४५ मिनट से लेकर दोपहर १२ बजकर ५ मिनट तक रहेगा।
इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप वार के अनुसार शुक्रवार व्रत रख सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विडाल योग एक अशुभ योग होता है, जो विशेष नक्षत्रों में चंद्रमा की स्थिति से बनता है। यह जातक के जीवन में समस्याओं, विघ्न, मानसिक अशांति, रोग और अचानक कठिनाइयों का कारण बन सकता है।
ब्रह्मवैवर्त और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत का उल्लेख है, जिसमें माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह की पूजा करने का महत्व बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस तिथि पर विधि-विधान से पूजा करने से जातक के जीवन में सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है।
अगर कोई जातक व्रत प्रारंभ करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू कर सकता है। आमतौर पर १६ शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। मंत्र जप करें, 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' और 'विष्णुप्रियाय नमः' का जप भी लाभकारी है।