क्या मुंबई में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ? अमेरिकी नागरिकों को बेची जाती थी नकली वियाग्रा

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क्या मुंबई में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ? अमेरिकी नागरिकों को बेची जाती थी नकली वियाग्रा

सारांश

मुंबई में एक काल्पनिक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ है, जहां विदेशी नागरिकों को नकली वियाग्रा बेचा जा रहा था। यह घटना न केवल ठगी का मामला है, बल्कि यह हमारे समाज में बढ़ती साइबर अपराधों की गंभीरता को भी दर्शाती है। जानिए इस ठगी रैकेट का पूरा सच!

Key Takeaways

  • मुंबई में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ है।
  • ठगी का शिकार होने वाले अमेरिकी नागरिक हैं।
  • पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
  • मुख्य आरोपी अभी फरार है।
  • डेटा चोरी का संदेह भी है।

मुंबई, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट-9 ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय ठगी रैकेट का खुलासा करते हुए अंबोली क्षेत्र में एक अवैध कॉल सेंटर पर छापा मारा। इस कॉल सेंटर के माध्यम से विदेशी नागरिकों, विशेषकर अमेरिकी नागरिकों को नकली वियाग्रा और अन्य दवाएं बेची जा रही थीं। पुलिस ने इस मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य आरोपी और उसके दो साथी अभी फरार हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में शामिल हैं मोहम्मद आमिर इकबाल शेख (40), माहिर इकबाल पटेल (26), मोहम्मद शबीब मोहम्मद खलील शेख (26), मोहम्मद अयाज परवेज शेख (26), आदम एहसानुल्लाह शेख (32), आर्यन मुशफ्फिर कुरैशी (19), अमान अजीज अहमद शेख (19) और हश्मत जामिल जरीवाला (29)। वहीं, मुख्य आरोपी मुजफ्फर शेख (43) अपने साथी आमिर मणियार और अन्य के साथ फरार है। क्राइम ब्रांच की टीमें उनकी खोज में लगी हुई हैं।

गिरफ्तार आरोपियों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 10 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है ताकि मामले की विस्तृत जांच की जा सके।

क्राइम ब्रांच को मिली सूचना के मुताबिक, 'टीम ग्रैंड 9 सिक्योरिटी सर्विसेज एलएलपी' नामक कंपनी केवनीपाड़ा, एसवी रोड, अंबोली, जोगेश्वरी (वेस्ट) में एक कॉल सेंटर चला रही थी। यहां के कर्मचारी अमेरिकी लहजे में बात करते हुए खुद को अमेरिका की दवा कंपनियों का प्रतिनिधि बताते थे और विदेशी नागरिकों को टेलीमार्केटिंग के जरिए संपर्क कर नकली दवाएं बेचकर ठगी करते थे।

सूचना मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम ने छापा मारा और मौके से कई लैपटॉप, हेडसेट, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त किए। पुलिस को संदेह है कि इस कॉल सेंटर में अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा भी अवैध रूप से प्राप्त किया गया था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कॉल सेंटर पिछले छह से सात महीनों से सक्रिय था और बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को निशाना बना रहा था।

अधिकारियों के अनुसार, जब्त किए गए सभी डिजिटल उपकरणों की विस्तृत फॉरेंसिक जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि अब तक कितने लोगों को ठगा गया, कितना वित्तीय नुकसान हुआ और डेटा चोरी की यह बड़ी घटना किस प्रकार की थी।

क्राइम ब्रांच का कहना है कि फरार आरोपियों को जल्द पकड़ने के लिए कई टीमें विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही हैं। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस गिरोह का अन्य राज्यों या देशों में भी नेटवर्क है।

Point of View

बल्कि यह डिजिटल दुनिया में बढ़ती धोखाधड़ी के प्रति हमारी सतर्कता को भी दर्शाती है। हमें चाहिए कि हम ऐसे मामलों की गंभीरता को समझें और अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करें। यह समय है जागरूकता फैलाने का और ऐसे अपराधियों का सामना करने का।
NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या कॉल सेंटर से अमेरिकी नागरिकों को ठगा जा रहा था?
जी हां, कॉल सेंटर के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों को नकली वियाग्रा और अन्य दवाएं बेची जा रही थीं।
कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है?
पुलिस ने इस मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
मुख्य आरोपी कौन है?
मुख्य आरोपी मुजफ्फर शेख है, जो अभी फरार है।
पुलिस अब क्या कदम उठा रही है?
पुलिस फरार आरोपियों की तलाश कर रही है और मामले की गहराई से जांच कर रही है।
क्या कॉल सेंटर में डेटा चोरी हुई थी?
हां, पुलिस को शक है कि कॉल सेंटर में अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा अवैध रूप से प्राप्त किया गया था।
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